देहरादून। प्रख्यात लोकगायक व साहित्यकार नरेंद्र सिंह नेगी (Narendra Singh Negi) ने कहा कि साहित्य को समाज के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए आज के दौर में उसे नई तकनीक और सोशल मीडिया से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने यह बात मितेश्वर आनंद के कहानी संग्रह ‘हैंडल पैंडल’ पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कही।
उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित परिचर्चा एवं संवाद कार्यक्रम में नेगीदा ने कहा कि उत्तराखंड से निकले साहित्य की सुगंध देश और दुनिया में फैली हुई है। आम तौर पर यह शिकायत रहती है कि आज के युवा साहित्य से दूर जा रहे हैं और सोशल मीडिया में खोए हुए हैं। ऐसे में जरूरत है कि इन्हीं नए माध्यमों का उपयोग साहित्य के विस्तार के लिए भी किया जाएगा।
कहानी संग्रह ‘हैंडल पैंडल’ के लेखक मितेश्वर आनंद ने कहा कि मेरी किताब जीवन में घटित अनुभूति को शब्दों में संजोने की कोशिश है। पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ ने कहा कि हैंडल पैंडल की कहानियां हर पाठक के जीवन से जुड़ी हुई हैं।
साहित्यकार एवं पुलिस अधिकारी अमित श्रीवास्तव ने कहा कि साहित्य समाज के लिए आवश्यक है। कहानी और साहित्य को लोकप्रिय बनाते हुए पाठक की नब्ज को पकड़ा जा सकता है। पत्रकार रमेश भट्ट ने कहा कि यह किताब हमें बचपन की में लेकर जाती है, इसके प्रसंग सभी के साथ रोचक रूप में जुड़े हुए हैं।
पाणी राखो आंदोलन के संस्थापक सच्चिदानंद भारती ने कहा कि किताब पीछे छूट गए प्रसंगों और अपने परिवेश की बानगी पेश करती है। प्रो. अधीर कुमार ने कहा बहुत मुखर हुए बगैर जीवन के सत्य का उद्घाटन करती यह कहानियां पाठक के दिल में गहरे उतरती हैं।
काव्यांश प्रकाशन (Kavyansh Publication) के प्रबोध उनियाल ने आगंतुकों का अभार जताने के साथ ही कहानी संग्रह के शिल्प पर अपनी बात रखी। परिचर्चा का संचालन गणेश खुगशाल गणी ने किया।
इस अवसर पर गंभीर सिंह पालनी, एडमिरल ओमकाश राणा, गणेश रावत, राकेश जुगरान, जयदीप रावत, राजेश सकलानी, हरेंद्र रावत, गजेंद्र रमोला, विजय गौड़, जगमोहन रौतेला, जितेंद शर्मा, अरविंद शेखर, अरुण शर्मा, राजू गुसाईं, कीर्ति नवानी, लक्ष्मी प्रसाद बडोनी, प्रेम साहिल, मनोज ध्यानी, एसपी नौटियाल, यशपाल रावत, यशपाल सिंह आदि मौजूद थे।