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7 अक्टूर से शारदीय नवरात्रि, ऐसे करें पूजा अर्चना

इस नवरात्रि पर्व में पूजा अर्चना से होगी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण- डॉ. चंडीप्रसाद घिल्डियाल

शारदीय नवरात्रि का पर्व सात गुरूवार से प्रारंभ हो रहा है। इसबार नवरात्र पर्व का परायण आठ दिन में 15 अक्टूबर को हो जाएगा। ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडीप्रसाद घिल्डियाल ने बताया कि इस वर्ष नवरात्र की तिथियां घट रही हैं। तृतीया और चतुर्थी दोनों एक ही दिन है। नौ अक्टूबर शनिवार को प्रातः 7.48 बजे तक तृतीया और उसके बाद में चतुर्थी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। 15 अक्टूबर को दोपहर में दशमी काल है। इसलिए दशहरा पूजन शुक्रवार को मनाया जाएगा। बताया कि चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग के चलते घट स्थापना ब्रह्ममुहूर्त अथवा अभिजीत मुहूर्त में ही शुभ रहेगा।

नवरात्रि 2021 का शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि 6 अक्टूबर शाम 4 बजकर 35 मिनट से आरंभ होकर 7 अक्टूबर दोपहर 1 बजकर 46 मिनट पर संपन्न होगी।
घटस्थापना का मुहूर्त 7 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक शुभ माना गया है।

घट स्थापना सामग्री
जल से भरा हुआ पीतल, चांदी, तांबा या मिट्टी का कलश, पानी वाला नारियल, रोली या कुमकुम, आम और पीपल के 5 पत्ते, नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा या चुनरी, लाल सूत्र-मौली, साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के, कलश ढकने के लिए ढक्कन और जौ।

कलश स्थापना की विधि
मां दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित करें। कलश स्थापना के स्थान पर किसी बर्तन में मिट्टी भरकर रखें या जमीन पर मिट्टी का ढेर बनाएं। साथ ही कलश रखने का स्थान भी छोड़ें। कलश के ऊपर रोली कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। फिर उसपर मौली बांध दें। कलश को गंगाजल के साथ पानी से भर दें। उसमें थोड़े अक्षत (चावल), 2-4 दूर्वा घास, साबुत सुपारी और 1 सिक्का डालकर चारों ओर आम के 4-5 पत्ते लगा दें। फिर मिट्टी या धातु के ढक्कन उसे ढक दें।

इस ढक्कन पर भी स्वास्तिक बनाएं, फिर उस पर थोड़े चावल रखें। फिर एक नारियल पर लाल रंग की चुनरी लपेटें। तिलक करें और स्वास्तिक बनाएं। नारियल को ढक्कन के ऊपर चावल के ढेर पर रख दें। नारियल का मुख हमेशा अपनी ओर ही रखे, चाहे आप किसी भी दिशा में पूजा कर रहे हों। दीपक का मुख पूर्व दिशा की ओर रखें। अगर शारदीय नवरात्र व्रत हो तो कलश के नीचे शेष स्थान पर अथवा ठीक सामने जौ बोना अच्छज्ञ होता है।

कन्या पूजन का विधान
शास्त्रीय विधान के अनुसार अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन और नवमी के दिन सौभाग्यवती स्त्रियों का पूजन करना चाहिए। 01 से लेकर 09 वर्ष की कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने का शास्त्रीय विधान है। हरियाली को नवमी के दिन नहीं काटना चाहिए। वह रात्रि सिद्धिदात्री की होती है। उस रात्रि भी उसका पूजन करना चाहिए और दशमी के दिन 12ः00 बजे के लगभग हरियाली का विसर्जन करना चाहिए।

तिथि अनुसार ऐसे करें आराधना
7 अक्टूबर- मां शैलपुत्री की पूजा गुरुवार, प्रतिपदा तिथि व चित्रा नक्षत्रः- इस दिन मां शैलपुत्री के रूप में दो वर्ष की कन्या का गाय के घी से निर्मित हलवा व मालपूए का भोग लगाए और मां दुर्गा को गुड़हल के फूल चढ़ाएं।

8 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा शुक्रवार, द्वितीया तिथि स्वाति नक्षत्रः- विजय प्राप्ति व सर्वकार्य सिद्धि के लिए तीन वर्ष की कन्या का मां ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा कर मिश्री व शक्कर ने बने पदार्थ का भोग लगाए। लाल गुलाब के फूल चढ़ाएं

9 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा तृतीया व चतुर्थी तिथि शनिवार विशाखा/अनुराधा नक्षत्रः-दुखों के नाश व सांसारिक कष्टों से मुक्ति के लिए चार व पांच वर्ष की कन्या का मां चंद्रघंटा/कुष्मांडा के रूप में पूजन कर दूध से निर्मित पदार्थों व मालपुए का भोग अर्पित करें। गेंदे के फूल अर्पित करें

10 अक्टूबर- मां स्कंदमाता की पूजा रविवार पंचमी तिथि व अनुराधा नक्षत्रः- विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता व मनोकामना पूर्ति के लिए छह वर्ष की कन्या का मां स्कंदमाता के स्वरूप में पूजन कर माखन का भोग लगाएं। गुड़हल के फूलों से पूजन करें

11 अक्टूबर- मां कात्यायनी की पूजा सोमवार षष्ठी तिथि व ज्येष्ठा नक्षत्रः- चारों पुरुषार्थ व रूप लावण्य की प्राप्ति के लिए सात वर्ष की कन्या का मां कात्यायनी के स्वरूप में पूजन कर मिश्री व शहद का भोग समर्पित करें। लाल गुलाब के फूलों से पूजन करें

12 अक्टूबर- मां कालरात्रि की पूजा मंगलवार, सप्तमी तिथि व मूल नक्षत्रः- नवग्रह जनित बाधाएं व शत्रुओं के नाश के लिए आठ वर्ष की कन्या का मां कालरात्रि के स्वरूप में पूजा अर्चना कर दाख, गुड़ व शक्कर का नैवेद्य अर्पित करें। विभिन्न किस्म के फूलों से पूजन करें

13 अक्टूबर- मां महागौरी की पूजा बुधवार अष्टमी तिथि व पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रः- नौ वर्ष की कन्या का महागौरी स्वरूप में पूजन कर गाय के घी से निर्मित पदार्थ व श्रीफल का भोग लगाये। व्रत लेने वाले कच्चे नारियल का सेवन बिलकुल न करें

14 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री की पूजा गुरुवार, नवमी तिथि व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र :- परिवार में सुख समृद्धि, भय नाश व मनोकामना पूर्ति के लिए 10 वर्ष की कन्या का मां सिद्धिदात्री व नवदुर्गा स्वरूप में पूजन कर खीर, हलवा व सूखे मेवे का भोग लगाए।

15 अक्टूबर- दशमी तिथि, विजयादशमी या दशहरा।

 

(डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल जाने माने ज्योतिषाचार्य हैं। संपर्क- 9411153845)

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