गढ़वालीसाहित्य

वा (गढ़वाली कविता)

• मदन डुकलान

वा बंण म घास कटद
अर बंण हौर हैरो ह्वे जांद
वींका आंख्यूं आंसू ब्वगद
अर समोदर हौर गैरो ह्वे जांद

वा खड़ी उकाळ ब्वकद
अर पाड़ हौर उंच्चो ह्वे जांद
सुमरद वा अपणा द्यब्ता तैं
अर द्यब्त्ता हौर सुच्चो ह्वे जांद

वा दिन भरे खैरि
राति खुचिलिम थम्थ्यांद
अर बिनसरि म
सूरज तैं बिजांद

वा दिन रात
इनि चर्खा घुमांद
अर यीं रिंग-रिटोळ मा
जिंदगी पुर्यांद

(कवि मदन डुकलान मातृभाषा के जाने माने साहित्यकार, फिल्म अभिनेता हैं। )

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