
देहरादून। उत्तराखंड में 2022 का आम चुनाव वामपंथी पार्टियां साथ मिलकर लड़ेंगी। उनका प्रचार अभियान भी संयुक्त रूप से चलेगा। भाकपा, माकपा और भाकपा माले के राज्य सचिवों ने संयुक्त रूप से यह घोषणा की है।
बुधवार को माकपा के प्रदेश कार्यालय में तीनों ही वामदलों ने संयुक्त प्रेसवार्ता की। उन्होंने कहा की विपक्ष के उत्तराखंड में 20 वर्षों से लूट खसोट की राजनीति हो रही है। उत्तराखंड के शहीदों के सपनों को तार-तार किया गया है। विधायक सत्ता सुख भोगने तक सीमित हैं। ऐसे में वामदलों का प्रतिनिधित्व विधानसभा में जरूरी है।
वाम नेताओं ने कहा कि केंद्र से लेकर राज्य तक भाजपा की राजनीति विध्वंसक साबित हुई है। 2018 का भूमि संसोधन कानून और ऑल वेदर रोड इसके ठोस उदाहरण हैं। बढ़ती बेरोजगारी, मंहगाई, शिक्षा और बदहाल स्वास्थ सेवाओं ने आम आदमी की जिंदगी को दूभर कर दिया है। उत्तराखंड में भाजपा प्रचंड बहुमत के बाद भी स्थिर सरकार नहीं दे पाई है।
उन्होंने कहा कि भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जहां जुमलों के साथ चुनाव मैदान में हैं, वहीं वामदल मजदूर, किसानों, बेरोजगारों, महिलाओं, वंचितों की आवाज को लाल झंडे के तले विधानसभा में पंहुचाने को कृत संकल्प हैं। कहा कि वामदल चुनाव में मिलकर उतरेंगी। साथ ही राज्य समर्थक, जनपक्षधर, प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट करने का प्रयास करेंगी। वाम पार्टियों ने उत्तराखंड की प्रगतिशील ताकतों से अपील भी की कि भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए साथ आएं।
इस दौरान वाम पार्टियों ने संयुक्त किसान मोर्चा के किसान-मजदूर विरोधी नीतियों के विरूद्ध 27 सितंबर के भारत बंद में शामिल होने का ऐलान किया। उत्तराखंड के जनमानस से बंद को कामयाब बनाने का आह्वन भी किया ।
प्रेसवार्ता में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के कॉमरेड राज्य सचिव समर भंडारी, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव कॉ. राजेंद्र सिंह नेगी, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) के राज्य कॉ. सचिव राजा बहुगुणा, माकपा के कॉ. सुरेंद्र सिंह सजवाण, भाकपा के कॉ. अशोक शर्मा, भाकपा (माले) के कॉ. इंद्रेश मैखुरी आदि मौजूद थे।