• शिखर हिमालय/
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड की पांचवी विधानसभा के लिए 70 सीटों पर वोट ईवीएम में कैद हो चुका है। इसबार मत प्रतिशत 2017 के करीब रहा है। लगभग बराबरी का ये ट्रेंड किस दल के खाते को फुल और किसकी झोली को खाली करेगा, हर किसी की जुबां पर यही सवाल तैर रहा है। सोशल मीडिया पर तो कथित राजनीतिक विश्लेषकों की बाढ़ आई हुई है। हर कोई अपने-अपने राजनीतिक मिजाज के अनुरूप नतीजों को बतौर ‘एग्जिट पोल’ पेश कर रहा है।
राज्य स्थापना के बाद पहले से लेकर तीन चुनावों तक वोटिंग परसेंट में हरबार वृद्धि दर्ज हुई। जबकि चौथे चुनाव में मत प्रतिशत कुछ कम रहा। 2002 में राज्य के 53.34 प्रतिशत लोगां ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, तो 2007 में यह बढ़कर 59.50 प्रतिशत पहुंचा। 2012 में राज्य में मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी और मतदान प्रतिशत भी बढ़कर 66.85 पर रहा। जबकि 2017 में इसमें 2.12 प्रतिशत की कमी रिकॉर्ड हुई। तब 64.73 प्रतिशत वोट पड़ा। मौजूदा चुनाव में ताजा आंकड़ा 65.10 बताया जा रहा है। जो कि 0.37 प्रतिशत ही अधिक है।
वोट परसेंट के इस ट्रेंड को देखें, तो पहले से चौथे चुनाव तक हरबार सत्ता चेंज हुई। प्रदेशवासियों ने सरकारों के कामकाज को बखूबी आंका और उसके नतीजे के रूप में ही अपना वोट डाला। प्रदेश में ‘मिथक’ कहें या जागरूकता लोग सरकारों को आंकने में अब भी पीछे नहीं हैं। इसीलिए पिछले चार चुनावों तक एंटी इनकंबेंसी ने सत्तारूढ़ दल की सरकार को चलता किया और कुछ बेहतर की उम्मीद में विपक्ष को मौका दिया। इसबार वोटरों का ट्रेंड कितना बदला होगा अभी कहना मुश्किल है।
2017 के बरक्स इसबार वोट परसेंट लगभग बराबरी पर है। हालांकि जिस तरह से प्रदेश में मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है, उस हिसाब से वोट प्रतिशत के बढ़ने में और गुंजाइश थी। सो यह हालात किसके खिलाफ और किसके पक्ष में जाएंगे, यह 10 मार्च को साफ हो जाएगा।
हालांकि दावेदारों के साथ ही सत्ताधारी भाजपा इसे अपने पक्ष में तो कांग्रेस ‘परिवर्तन’ का वोट मान रही है। जबकि जानकारों के अनुसार 70 सीटों पर मतदान के बाद राजनीतिक दल फिलहाल एक-एक विस सीट के आंकड़ों को जुटाकर उसके विश्लेषण में जुट हैं। साथ ही उन्हें अब एग्जिट पोल सर्वे से जुड़ी एजेंसियों के आंकड़ों का इंतजार भी होगा।