महिला आयोग ने ‘कार्बेट पार्क कैमरा ट्रैप’ मामले का लिया संज्ञान

देहरादून। कार्बेट पार्क क्षेत्र में कैमरा ट्रैप से स्थानीय महिला की फोटो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने के मामले में राज्य महिला आयोग अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने स्वतः संज्ञान लिया है। उन्होंने प्रमुख वन संरक्षक को मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
बता दें कि समाचान पत्रों में प्रकाशित खबर में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता का दावा है कि “कॉर्बेट टाईगर रिजर्व पार्क में बाघों की सुरक्षा के लिए लगे कैमरा ट्रैप और सीसीटीवी से आसपास की महिलाओं की निजता का हनन हो रहा है।“ जिसका स्थानीय लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। रिपोर्ट में उक्त आरोप लगाये जा रहे हैं।
शोधकर्ता का दावा है कि सर्वे के दौरान उन्होंने 14 महीनों तक 270 लोगों का साक्षात्कार लिया, जिसमें स्थानीय महिलाऐं शामिल थीं। दावा किया गया कि कैमरा ट्रैप व ड्रोन की वजह से महिलाएं आपस में ठीक से बात तक नहीं कर पाती हैं। एक स्थानीय महिला द्वारा यह भी दावा किया जा रहा है कि सन् 2017 में वन विभाग के एक कर्मचारी द्वारा कैमरा ट्रैप से उसकी वीडियो लेकर सोशल मीडिया व व्हाट्सएप में वायरल की गई थी।
घटना की जानकारी के बाद राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने वन विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्राचार करते हुए निर्देश दिए है। कंडवाल ने कार्बेट पार्क के निदेशक डॉ साकेत बडोला से फोन पर वार्ता भी की है। कहा कि वन क्षेत्र के निकट रहने वाली स्थानीय महिलाओं की निजता का हनन व उनके अधिकारों की रक्षा अत्यंत गम्भीर विषय है।
उन्होंने कहा कि वन क्षेत्रों के निकट स्थानीय लोग रहते हैं जिनका जीवन उसी जंगल के नजदीक लघु व्यवसायों से चलता है, ऐसे में रिपोर्ट में दावा करने वाली पीड़ित महिला की आपत्तिजनक फोटो व वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित करने वाले कर्मचारी के विरूद्ध कार्रवाई की जाए। साथ ही इस प्रकरण की जांच रिपोर्ट आयोग को भी उपलब्ध कराई जाए।