ऋषिकेश। क्षय रोग (टी. बी.) की बीमारी अब लाइलाज नहीं रही। लक्षण प्रारम्भिक चरणों में है तो इसका सम्पूर्ण इलाज संभव है। एम्स ऋषिकेश ने इस बीमारी के खात्मे के लिए विशेष अभियान संचालित किया है। एम्स के पल्मोनरी विभाग की ओपीडी में आने वाले प्रत्येक रोगी से पूछताछ कर स्क्रीनिंग की जा रही है, ताकि चिह्नित रोगी का समय रहते इलाज शुरू हो सके।
संस्थान के पल्मोनरी विभाग की प्रोफेसर डॉ. रूचि दुआ ने बताया कि 2017 में टीबी उन्मूलन अभियान के तहत डॉट्स (डायरेक्टली ओबज्वर्ड थेरेपी शॉर्टटर्म) सेंटर की शुरुआत की गई थी। बाद में पल्मोनरी विभाग द्वारा टीबी के लक्षणों वाले रोगियों को भी ओपीडी में देखा जाने लगा। बताया कि प्रतिमाह लगभग 100- 120 रोगी टी.बी. की शिकायतों को लेकर आते हैं। पूछताछ में लक्षण मिलने और चेकअप के बाद इलाज का विशेष प्रोटोकॉल निर्धारित किया गया है। बताया कि एम्स का प्रयास है कि समय रहते रोगी का बेहतर इलाज शुरू किया जा सके।
विभाग हेड प्रो. गिरीश सिंधवानी ने बताया कि टी.बी पर पूरी तरह नियंत्रण पाने के लिए पल्स पोलियो अभियान की तरह जागरूकता अभियान चलाना होगा। इसके लिए सभी लोगों को सामूहिक सोच से कार्य करने की आवश्यकता है।
टीबी के खिलाफ चल रहा व्यापक अभियान
क्षय रोग के उन्मूलन में तेजी लाने के लिए 9 सितम्बर 2022 को देश में ‘प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान’ शुरू हुआ था। यह संक्रामक बीमारी ट्यूबर कुलोसिस वैक्टीरिया के कारण होती है, और रोगी के फेफड़ों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। इस रोग से निपटना एक चुनौती भी है। नियंत्रण के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा व्यापक अभियान संचालित किया जा रहा है।
टी.बी के प्रमुख लक्षण
लंबे समय तक सूखी खांसी आना, खांसी आने पर बलगम या फिर खून आना, बैचेनी और सुस्ती महसूस होना, सांस लेते वक्त सीने में दर्द होना, भूख कम लगना और वजन कम होना और अक्सर हल्का बुखार रहना इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं। डॉ. रूचि दुआ ने बताया कि इस बीमारी के लक्षण देरी से पता चलने के कारण इसका खात्मा करना स्वयं एक चुनौती है।
सोम और बुधवार को होती है ओपीडी
एम्स के पल्मोनरी विभाग में सोमवार और बुधवार को सामान्य मरीजों के लिए ओपीडी का दिन निर्धारित है। ओपीडी के इन दोनों दिनों में टी.बी के लक्षणों वाले रोगियों की जांच भी की जाती है। यहां सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के तहत इलाज की सभी सुविधाएं मुफ्त हैं।
टीबी रोगियों की जांच के लिए उपलब्ध सुविधाएं
थूक/बलगम से संबंधित जांच/ रिजिड ब्रोंकोस्कोपी और एंडोस्कोपी/ईबीयूएस-एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड और थोरैकोस्कोपी जैसी विशेष एंडोस्कोपी की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
क्या करें ? यदि किसी में टीबी के लक्षण मिल जाएं ?
फेफड़ों की जांच और थूक बलगम की जांच कराकर बीमारी के लक्षणों को पुष्ट करना। हवा के माध्यम से संक्रमण से फैलने वाली इस घातक बीमारी के लक्षणों का पता लगते ही इसका तत्काल उपचार शुरू करना न केवल रोगी के जीवन को बचाता है अपितु परिवार के अन्य सदस्यों को भी संक्रमित होने से बचा देता है।
ओपीडी एरिया में टीबी क्लीनिक संचालित
कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि गंभीर किस्म की प्रत्येक बीमारी का इलाज करना एम्स ऋषिकेश की प्राथमिकता है। टी.बी रोगियों के लिए राज्य सरकार के सहयोग से अस्पताल के ओपीडी एरिया में एक टी.बी. क्लीनिक भी संचालित किया जा रहा है। क्षय रोग को खत्म करने के लिए जन भागीदारी होनी बहुत जरूरी है। संस्थान द्वारा संचालित ड्रोन मेडिकल सेवा के माध्यम से भी हम उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती इलाकों चम्बा, यमकेश्वर और टिहरी आदि स्थानों तक टीबी की दवा पहुंचा रहे हैं।