
Kranprayag News : कर्णप्रयाग। डॉ. शिवानंद नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा में दर्शन का योगदान विषय पर दो द्विवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का विधिवत शुभारंभ हो गया। वक्ताओं ने कहा कि भारतीय ज्ञान की परंपरा ने संस्कृति को पोषित किया है। यह परंपरा प्राचीनकाल से ही समृद्ध रही है। इसके संवर्धन के लिए आगे भी काम किया जाना चाहिए।
गुरुवार को महाविद्यालय में संस्कृत व राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (ICPR) द्वारा पोषित राष्ट्रीय संगोष्ठी राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में आरंभ हुई। मुख्य वक्ता डॉ. जोरावर सिंह (सहायक आचार्य, जेएल.एन महाविद्यालय हरियाणा कहा कि दर्शन हम सभी के जीवन से जुड़ा हुआ है। महर्षि वाल्मीकि से भवभूति व तुलसीदास तक सभी दर्शन के चिंतक रहे हैं। कहा कि दर्शन एक देखने का नजरिया है। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. जनार्दन कैरवान (प्राचार्य श्री मुनीश्वर वेदांग महाविद्यालय, ऋषिकेश ने भारतीय परंपरा में दर्शनशास्त्र के योगदान को रेखांकित करने के साथ ही वर्तमान में योगदान और विभिन्न आयामों पर चर्चा की।
विशिष्ट वक्ता डॉ. प्रवीण शर्मा प्रवक्ता, अटल आदर्श राजकीय इंटर कॉलेज, नैनीसैन ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में दर्शन का योगदान रहा है। विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रवीण मैठानी सहायक आचार्य , रा. स्ना. महाविद्यालय नागनाथ पोखरी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा ने भारतीय संस्कृति को परिपोषित किया है, आज भी विश्व द्वारा इसका सम्मान किया जा रहा है। डॉ. सुशील नौटियाल सहायक आचार्य श्री दर्शन महाविद्यालय ऋषिकेश ने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा प्राचीनकाल से ही समृद्ध रही है।
इससे पूर्व सेमीनार के शुभारंभ पर आयुषी, अमीषा, अंकिता और सलोनी ने सरस्वती वंदना और स्वागत गीत प्रस्तुत किया। जबकि डॉ. मृगांक मलासी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। वहीं विभिन्न राज्यों से शोधार्थियों ने अपने शोधपत्र ऑनलाइन पेश किए। संचालन कीर्तिराम डंगवाल और अतिथि स्वागत व परिचय डॉ. मदनलाल शर्मा ने किया।