
ऋषिकेश। एम्स के गायनी विभाग के चिकित्सकों ने जनपद चमोली की 36 वर्षीय महिला को जीवनदान दिया। महिला को अधूरे ऑपरेशन के बाद हेली सेवा के जरिए एम्स में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य लाभ के बाद महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
एम्स के मुताबिक जनपद चमोली के पोखनी गांव की एक 36 वर्षीय महिला को मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव की समस्या थी। गोपेश्वर स्थित एक चिकित्सालय में 24 अगस्त को महिला की बच्चेदानी का ऑपरेशन होना था। सर्जरी के दौरान डॉक्टरों को महिला की बच्चेदानी में एक बड़ी गांठ दिखी। वहां इलाज संभव नहीं होने पर डॉक्टरों ने निगेटिव लैप्रोटॉमी (चीरा लगने के बाद बिना ऑपरेशन टांके लगाने की प्रक्रिया) की हालत में एम्स के लिए रेफर करना उचित समझा।
डॉक्टरों ने एम्स के गायनी हेड प्रो. जया चतुर्वेदी से संपर्क साधा और हालात से अवगत कराया। जिसके बाद मरीज को तत्काल हेली सर्विस से एम्स लाया गया। एम्स में प्रो. जया चतुर्वेदी की निगरानी में चिकित्सकों की टीम ने आवश्यक जांचों के बाद महिला के बच्चेदानी की सफल सर्जरी की। तीन सप्ताह बाद एक दिन पहले महिला को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
महिला की सफल सर्जरी पर एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने चिकित्सकों की सराहना की। कहा कि एम्स तकनीक आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को तेजी से विकसित कर रहा है। एम्स पहुचने वाले प्रत्येक रोगी का जीवन बचाना हमारी प्राथमिकता है।
बच्चेदानी में था 3.6 किलो का ट्यूमर
गायनी सर्जन डॉ. कविता खोईवाल ने बताया कि महिला की बच्चेदानी में 3.6 किलो का ट्यूमर था। उसके फेफड़े में थ्रोम्बस (थक्का जमने) की शिकायत थी। ऐसे में तत्काल सर्जरी संभवन नहीं थी। सर्जरी के लिए फिट हो जाने पर उसकी बच्चेदानी ट्यूमर सहित निकाल ली गई। सर्जरी टीम में डॉ. कविता खोईवाल के साथ डॉ. आकांक्षा देशवाली, डॉ. स्मृति सबनानी, डॉ. कृपा यादव और एनेस्थेसिया के डॉ. गौरव जैन आदि शामिल थे।