धर्म कर्म

पुण्यकर्म ही होते हैं अंत तक साथः लक्ष्मी नारायण

पौराणिक सोमेश्वर महादेव मंदिर में श्रीरामकथा का सातवां दिन

ऋषिकेश। पौराणिक सोमेश्वर महादेव मंदिर में श्रीरामकथा के सातवें दिन प्रवचन में कथावाचक संत लक्ष्मी नारायण महाराज ने कहा कि जीव जगत में जन्म के साथ उसके तीन मित्र संबंधी, संपत्ति और धर्म भी सामने होते हैं। इनमें से सिर्फ धर्म अर्थात पुण्य कर्म ही अंत तक साथ होता है।

बनखंडी स्थित महादेव मंदिर में श्रीरामकथा के अवसर पर कथावाचक संत लक्ष्मी नारायण महाराज ने स्नान के तीन प्रकार जल, भस्म और और मंत्र सत्संग बताए। कहा कि तीनों से ही शुद्धि होती है। भरत चरित्र पर कहा कि भरत ने प्रभु राम के लिए सत्ता को ठुकरा कर अनन्य प्रेम का प्रमाण दिया। यानि कि जहां पर प्रेम हो उसके सामने धन-संपत्ति छोटी होती है। इसलिए संपत्ति का नहीं बल्कि अपने संबंधियों से विपत्ति का बंटवारा करना चाहिए।

उन्होने कहा कि जीव के जन्म पर संबंधी, संपत्ति और धर्म उसके साथ होते हैं। संबंधी केवल शमशान तक और संपत्ति जीवन के अंत तक साथ रहते हैं, जबकि हमारे पुण्य कर्म अर्थात धर्म मृत्यु के बाद भी साथ रहता है। इसलिए जीवन में अर्थ के साथ ही परमार्थ भी कमाना चाहिए, जो कि सत्कर्मों से हमें प्राप्त होते हैं।

पांडाल में दूर-दूर से आए धर्मप्रेमियों ने श्रीरामकथा का श्रवण किया। इस अवसर पर महंत रामेश्वर गिरी, स्वामी पुनीत गिरी, स्वामी संगम गिरी के साथ ही मुख्य यजमान भी उपस्थित रहे।

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