
भारतीय राजनीति में कहावत है ‘यहां न कोई किसी का स्थायी मित्र है और न ही कोई स्थायी दुश्मन।’ इनदिनों उत्तराखंड की राजनीति (Uttarakhand Politics) भी इसी दौर से आगे बढ़ रही है। खासकर भाजपा और कांग्रेस के बीच दल-बदल के रोज नए किस्से सामने आ रहे हैं। हालिया किस्सा पूर्व सीएम हरीश रावत से जुड़ा है। हरदा एक मीडिया बाइट में 2016 के बागी कांग्रेसियों को लेकर दो टूक बोले- एक दो बेबस थे, तो कुछ लोग भ्रमवश चले गए। उन्हें क्षमा करने को तैयार हूं। लेकिन उन्हें नहीं जो ज्यादा ही उज्याड़ खा चुके हैं।
मीडिया के सवालों पर हरदा तल्ख भी दिखे, तो रहमदिल भी। दो टूक बोले- कि चाहे अपने घर के देवता के थान में जाकर सार्वजनिक माफी मांगे, स्वीकारें, खेद तो जताएं कि उन्होंने गलती की थी। कहें कि भविष्य में ऐसी कोई गलती नहीं करेंगे, टिकट मिले न मिले, कांग्रेस के साथ निष्ठा से खड़े रहेंगे। हरीश रावत आड़े नहीं आएगा।
हरदा के इस बयान के बाद एक बात साफ हो गई है कि उन्हें कुछ बागी कांग्रेसियों की धर वापसी से ऐतराज नहीं। जिनमें एक महिला यानि रेखा आर्य भी हैं। बयान में बिना नाम लिए वह एक महिला का जिक्र करते हैं कि वह नहीं जाना चाहती थी, लेकिन उन्हें एक उज्याड़ू बल्द ने गाली देकर जबरन खींचा। जबकि कुछ अन्य के प्रति सॉफ्ट दिखे हैं। वह उन्हें माफ करने को तैयार भी हैं। लेकिन, एक-दो को हरदा कतई बर्दाश्त करने के पक्ष में नहीं। भले ही वह जिताऊ क्यों न हों।
इन ‘एक-दो’ को लेकर जानकारों का मानना है कि संभवतः हरदा ने यह हरक सिंह रावत और उमेश शर्मा काऊ के बारे में कहा है। जबरन प्रवेश पर वे कहते हैं कि यदि महापाप करने वाले ऐसे व्यक्ति कांग्रेस में प्रवेश करते हैं तो मेरे जैसे व्यक्ति के लिए कठिन समय होगा। इसलिए कि हरीश रावत अपने सीएम बनने के लिए नहीं बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति, मूल्यों और परंपराओं के लिए खड़ा हैं। लोगों ने हरीश रावत को इन्हें बचाने के लिए खड़ा किया है।
लिहाजा, आगे सब कुछ हरदा के मुताबिक चला तो भाजपा से पुराने कांग्रेसियों में एक-दो को छोड़कर बाकी ‘घर वापसी’ की तरफ कदम बढ़ा भी सकते हैं हालांकि कौन आएगा कौन नहीं, फिलहाल यह सिर्फ कयासों का मसाला भर है।