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वीर चंद्रसिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना की सब्सिडी बढ़ी

पर्वतीय क्षेत्र में गैर वाहन मद में 33 लाख और मैदानी में 25 लाख तक सहायता

• वाहन मद में सहायता राशि 15 से बढ़ाकर 20 लाख की गई

देहरादून। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में लगभग दोगुने से भी अधिक की वृद्धि की गई है। पर्वतीय क्षेत्र में गैर वाहन मद में पर्यटन इकाईयों की स्थापना के लिए अब 33 लाख, जबकि मैदानी में अधिकतम 25 लाख तक की सब्सिडी का लाभ मिल सकेगा। टैक्सी वाहनों की खरीद के लिए यह राशि 15 लाख और इलेक्ट्रिक व लग्जरी बस के लिए अधिकतम 20 लाख होगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस फैसले को स्वीकृति प्रदान की गई। योजना की नियमावली में संशोधन करते हुए गैर वाहन मद में सरकारी सहायता की अधिकतम राशि को 15 लाख से बढ़ाकर 33 लाख कर दिया गया है। इलेक्ट्रिक व लक्जरी बस के लिए अधिकतम सहायता राशि को 15 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है।

नियमावली 2002 में नियम-6 के तहत गैर वाहन मद में पर्वतीय क्षेत्र के लिए लागत का 33 प्रतिशत या 15 लाख रुपये जो कम हो, को बढ़ाकर 33 प्रतिशत या 33 लाख रुपये कर दिया गया है। इलेक्ट्रिक व लक्जरी बस की खऱीद के लिए 50 प्रतिशत या अधिकतम 15 लाख रुपये जो भी कम हो, में 15 लाख से वृद्धि कर 20 लाख रुपये किया गया है। मैदानी क्षेत्र में सहायता राशि को 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने की घोषणा की गई है।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में यह बेहद लोकप्रिय योजना है। प्रारंभ से वर्तमान तक इस योजना में 6739 स्थानीय व्यक्तियों को लाभ मिला है। कहा कि युवाओं को इसका अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।

पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि योजना के तहत लक्ष्य के मुकाबले मिलने वाले आवेदनों की संख्या के दृष्टिगत सब्सिडी राशि में वृद्धि का प्रस्ताव किया गया है। उम्मीद है कि यह फैसला युवाओं को पर्यटन क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

बता दें कि इस योजना में होटल, मोटल, रिजोर्ट, योगध्यान केन्द्र, टैक्सी, कैरावान व मोटर होम टूरिज्म, टेरेन बाइक्स, क्याकिंग, एंगलिंग व ट्रैकिंग उपकरण; बेकरी व लॉन्ड्री के लिए सब्सिडी दी जाती है।

योजना का लाभ उठाने के इच्छुक व्यक्ति www-vcsgsheme.uk.gov.in वेबसाइट पर आवेदन कर सकता है। इसके बाद संबंधित जिला पर्यटन कार्यालयों से आवश्यकतानुसार संपर्क कर सकते है। लाभार्थियों का चयन जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति के द्वारा परीक्षण के उपरान्त किया जाता है।

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