
ऋषिकेश। विधानसभा क्षेत्र (Rishikesh Assembly) का चुनाव इसबार दिलचस्प होने वाला है। एक तरफ जहां अलग-अलग राजनीति दलों के धनबली प्रत्याशी मैदान में हैं, वहीं दूसरी तरफ राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पूर्व राज्यमंत्री उषा रावत (निर्दलीय प्रत्याशी) सीमित संसाधनों के बल पर क्षेत्र में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करा रही हैं। विपरीत मौसम के बावजूद उषा रावत विस क्षेत्र के हर हिस्से तक पहुंचने की कोशिश में जुटी हैं। आज भी बारिश के बीच ही उन्होंने कई इलाकों में जनसंपर्क कर वोट अपील की।
शुक्रवार को ऋषिकेश विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवार 68 वर्षीय उषा रावत ने मायाकुंड, गुमानीवाला, मंसादेवी, मीरानगर, बापूग्राम, शिवाजीनगर आदि क्षेत्रों में अपने समर्थकों के साथ डोर टू डोर जनसंपर्क किया। इस दौरान उन्होंने मतदाताओं से चुनाव लड़ने के मकसद को साझा करते हुए 14 फरवरी को उनके चुनाव निशान कप प्लेट का बटन दबाने की अपील की।
इस दौरान उषा रावत ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन उत्तराखंड राज्य निर्माण, मातृशक्ति के उत्थान और बेरोजगारों के लिए संघर्ष करते हुए गुजारा। आज हालत यह हैं कि राष्ट्रीय दलों से टिकट भी उसको ही मिलता है जिसके पास धन बल है। मगर, उनका मानना है कि जो लोग आज दूसरों के साथ चल रहे हैं, वह भी वोटिंग के दिन अपने पसंद के प्रत्याशी को ही वोट करते हैं।
बताया कि नगरपालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में निर्दलीय होते हुए भी 7000 वोट मिले थे और राष्ट्रीय दल की प्रत्याशी पूरी ताकत के बावजूद मुझसे मात्र 1000 वोट ही ज्यादा हासिल कर सकी थी। अब उन्हें विश्वास है कि जनहित को लेकर उनके संघर्षों और 20 वर्षों तक राष्ट्रीय दलों की नुमाइंदगी के बावजूद क्षेत्र की बदहाली को देखते हुए जनता मेरे पक्ष में वोट करेगी। कहा कि कुछ लोग धन बल और अपने माफिया तंत्र के जरिए चुनाव जीतना चाहते हैं, लेकिन जनता निश्चित तौर पर उन्हें सबक सिखाएगी।
बता दें, कि उषा रावत अकेली ऐसी उम्मीदवार हैं जिनके पास भले ही धनबल और बाहुबल न हो, लेकिन उनके साथ महिलाओं और युवाओं की टीम है, जो बेहद सादगी और जोश के साथ प्रचार प्रसार में जुटे हैं। बगैर किसी शोरगुल के लोग उनकी बात को सुन भी रहे हैं, और उनके पक्ष में खड़े होने का विश्वास भी दिला रहे हैं।