मूल निवास आंदोलन को मिला शंकराचार्य का समर्थन
हरिद्वार में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से संघर्ष समिति पदाधिकारियों ने की भेंट

देहरादून। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपना समर्थन दिया है। कहा कि सरकार को भी इन मांगों को मान लेना चाहिए।
उत्तराखंड स्थित चारधामों की शीतकालीन पूजा स्थलों की यात्रा समाप्ति पर चंडी घाट हरिद्वार में मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से भेंट की। शंकराचार्य ने कहा कि समिति की मांगे न्यायोचित और संवैधानिक हैं। कहा कि सरकार को जल्द इन मांगों को मान लेना चाहिए। उन्होंने समिति से कहा कि इसी तरह जनहित के मुद्दों के सथ राज्य के विकास में अग्रणी भूमिका निभाएं।
इस बीच संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि शंकराचार्य से मिली सकारात्मक ऊर्जा निश्चित ही हमारा आत्मबल बढ़ाएगी। कहा कि सरकारों ने पूर्व में भी शीतकालीन यात्रा शुरू करने की पहल की थी, जिसके पीछे सरकार के अपने निहितार्थ थे। लेकिन जब किसी संत द्वारा यात्रा का श्रीगणेश किया जाता है तो वह निस्वार्थ होती है। शंकराचार्य महाराज द्वारा शुरू की गई पहल से जहां उत्तराखंड में आध्यात्मिक और धार्मिक ज्योति जलती रहेगी, वहीं स्थानीय लोगों को निरंतर रोजगार मिलता रहेगा।
सह संयोजक लूशुन टोडरिया ने कहा कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा शीतकालीन चार धाम यात्रा को पुनर्जीवित करने का कार्य ऐतिहासिक है। इस कार्य से न सिर्फ देश भर में लोगों को चारों धामों के शीतकालीन प्रवास के बारे में जानकारी मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों के भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कहा यह हमारा सौभाग्य है कि हिमालय की संस्कृति और समाज को बचाने के आंदोलन में शंकराचार्य का आशीर्वाद मिला, जिससे हमारा जनहित के कार्य करने में और भी मनोबल बढ़ गया है।
पौड़ी गढ़वाल पोखड़ा ब्लॉक के पूर्व प्रमुख व समिति के सदस्य सुरेंद्र रावत ने कहा कि शंकराचार्य के आशीर्वाद से हम अपने आंदोलन को जन-जन तक ले जाएंगे। उत्तराखंड देवभूमि है और देवताओं के आशीर्वाद से हम सभी अपने हक के लिए लड़ रहे हैं।