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एसपी ममगाईं की नाट्य पुस्तक ‘ज्योतिर्मयी पदमिनी’ लोकार्पित

Book Released : देहरादून। प्रसिद्ध रंगकर्मी और मेघदूत नाट्य संस्था के संस्थापक एसपी ममगाई की ऐतिहासिक कथानक पर लिखित ‘ज्योतिर्मय पदमिनी’ नाट्य पुस्तक का लोकार्पण किया गया।

रविवार को दून पुस्तकालय और शोध केंद्र के सभागार में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक एवं शिक्षाविद डॉ. सविता मोहन, समारोह अध्यक्ष टिहरी राजपरिवार के ठाकुर भवानी प्रताप सिंह, विशिष्ट अतिथि डॉ. योगेश धस्माना और मो. इकबाल अजर ने किताब का लोकार्पण किया।

डॉ. सविता मोहन ने कहा कि किसी भी कथानक को कलाकार अपनी वाणी और अभिनय से जीवंत बनाते हैं और जब दर्शक किसी नाटक के साथ आत्मसात होकर उसमें खुद को तलाशता है तो यही नाटक की सफलता होती है। कहा कि लेखक के भाव अभिनेता के माध्यम से जब दर्शक तक पहुंचते हैं और दर्शक मंत्रमुग्ध होकर उसमें खो जाता है तो नाटक का लेखन सफल माना जाता है।

डॉ. सविता मोहन ने पदमावती के चरित्र चित्रण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इतिहासकारों में इस चरित्र को लेकर मत भिन्नता है किंतु मलिक मोहम्मद जायसी ने जिस कथावस्तु के साथ पदमावत की रचना की वह अपने आप में अद्भुत है। उसे महज किसी कवि की कल्पना मात्र नहीं कहा जा सकता।

उन्होंने इतिहासकारों द्वारा पदमिनी के सापेक्ष और निरपेक्ष दोनों पक्षों के प्रति तर्क देते हुए कहा कि सूफी परम्परा के कवि जायसी ने एक कालखंड का वर्णन तो किया ही है जो अपने आप में अद्भुत है। उन्होंने कलाकारों का आह्वान किया कि वे अपने अंदर अभिनय की भूख बनाए रखें। उनका कहना था कि नाटक के पात्र को जीना ब्रह्म को प्राप्त करने के समान साधना है।

डॉ. योगेश धस्माना ने कहा कि नाटकों की रचना और उनका प्रस्तुतिकरण आज के दौर में चुनौती भरा काम है। इस काम को जिस शिद्दत के साथ एसपी ममगाई कर रहे हैं, वह निश्चित ही स्तुत्य कर्म है। उन्होंने उत्तराखंड की नाट्य परम्परा और इस क्षेत्र में काम कर चुके लोगों के कृतित्व पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। मो. इकबाल अजर ने कहा कि एसपी ममगाई का कार्य नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत है और नाटकों के क्षेत्र में उनका योगदान विशिष्ट रहा है।

ठाकुर भवानी प्रसाद सिंह ने एसपी ममगाई से आग्रह किया कि गढ़वाल की गौरव गाथाओं को भी अपने नाटक की विषयवस्तु बनाएं। उन्होंने महारानी कर्णावती, फतेहप्रकाश और अन्य विषयों का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तराखंड के इन ऐतिहासिक विषयों पर अभी तक काम नहीं हुआ है, इन पर नाट्य विधा के माध्यम से काम होना चाहिए।

रंगकर्मी एसपी ममगाई ने कहा कि उन्होंने गहन शोध और अध्ययन के बाद इस नाट्य पुस्तक को तैयार किया है। रंगकर्मियों के लिए यह एक कथावस्तु के रूप में उपलब्ध है। कार्यक्रम के दौरान ज्योतिर्मयी पदमिनी के कुछ अंशों का वाचिक प्रदर्शन भी किया गया। जिसमें संगीतकार रामचरण जुयाल ने हुड़का और मोछंग के साथ संगत दी।

समारोह का संचालन वरिष्ठ पत्रकार दिनेश शास्त्री ने किया। मौके पर मिताली पुनेठा, अभि नंदा, जय सिंह रावत, चंद्रशेखर तिवारी, नीरज नैथानी, उत्तम बन्दूनी, सपना गुलाटी, सिद्धार्थ डंगवाल, सुनील तंवर, विजय डबराल, अशोक मिश्र, नंद किशोर त्रिपाठी, सावित्री उनियाल, गिरिविजय ढौंढियाल, अंशुमन सजवान, वीरेंद्र ममगाई, अंजलि बुड़ाकोटी, गोकुल पंवार, दिनेश बौड़ाई, सुरेंद्र सिंह सजवाण, प्रवीण भट्ट आदि मौजूद रहे।

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