श्रावण मासः ऐसे करें सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा अर्चना
Shravan Maas: श्रावण मास को आशुतोष शिव की आराधना का विशेष महीना माना जाता है। इस महीने सभी हिंदु धर्मानुयायी अपने-अपने स्तर से भोलेनाथ की अर्चना करते हैं। धर्मशास्त्रों में इसका भी एक विशेष विधान है। विधान के बिना आराधना को फलदायी नहीं माना जाता है। श्रावण मास में पूजा और शिव भोले के लिंग पर जलाभिषेक के नियम पर ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने प्रकाश डाला है।
आचार्य घिल्डियाल बताते हैं भगवान शिव के अभिषेक के लिए तांबे के पात्र को सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन तांबे के बर्तन से कभी भी दूग्धाभिषेक नहीं करना चाहिए। यह अशुभ के साथ ही धार्मिक मान्यताओं के विपरीत भी माना जाता है। बताया कि कांसे या चांदी के पात्र से अभिषेक करना भी शुभ माना जाता है। कभी भी स्टील के बर्तन से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
डॉ. घिल्डियाल के अनुसार जलाभिषेक हमेशा बैठकर ही किया जाना चाहिए। रुद्राभिषेक भी खड़े होकर नहीं करना चाहिए। अभिषेक के समय यह ध्यान रखना चाहिए कि शिवलिंग पर एक समान धार के साथ जल का अर्पण हो। बताया कि जलाभिषेक सदैव दाहिने हाथ से करें और बाएं हाथ से दाहिने हाथ का स्पर्श करें। स्त्रियां ओम नमः शिवाय के बजाए शिवाय नमः मंत्र का उच्चारण करें।
ज्योतिषाचार्य डॉ. घिल्डियाल बताते हैं कि शिवलिंग पर जलाभिषेक के समय मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। उत्तर दिशा को भगवान शिव का बायां अंग माना जाता है, जो मां पार्वती को समर्पित है। इस दिशा में मुंह करके जलार्पण से भगवान शिव और पार्वती दोनों ही प्रसन्न होते हैं।
(ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल कुंडली, हस्तरेखा और वास्तु शास्त्र के मर्मज्ञ के साथ-साथ यंत्र साधना के अच्छे जानकार हैं। आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। निवास’ 56/1 धर्मपुर, देहरादून, उत्तराखंड। कैंप कार्यालय- सी- 800, आईडीपीएल कॉलोनी, वीरभद्र, ऋषिकेश। मोबाइल -9411153845)