
ऋषिकेश। संस्कृत सप्ताह के दूसरे दिन उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से तीर्थनगरी में संस्कृत शोभायात्रा निकाली गई। समापन पर आयोजित गोष्ठी में संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया।
शनिवार को नगर निगम परिसर में उत्तराखंड संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द शास्त्री, राज्य महिला आयोग अध्यक्ष कुसुम कंडवाल, संस्कृत अकादमी सचिव डॉ. वाजश्रवा आर्य, संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक पद्माकर मिश्र, स्वामी केशवस्वरुप ब्रह्मचारी, निवर्तमान मेयर अनिता ममगाईं, पूर्व पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, जयेन्द्र रमोला, लक्ष्मण सिंह चौहान ने शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाई। शोभायात्रा नगर का चक्रमण कर भरत मंदिर सभागार में संपन्न हुई।
शोभायात्रा में संस्कृत छात्रों के अलावा विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएं, संत-महात्मा, जनप्रतिनिधि, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि और मातृशक्ति शामिल हुई। समापन आयोजित गोष्ठी में मुख्य अतिथि संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार गैरोला ने कहा संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए शासन स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। हमें मिलकर संस्कृत भाषा को हर वर्ग तक पहुंचाना होगा।
शिक्षा निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज ने कहा कि गीता के अनेकों उदाहरण से संस्कृत के महत्व को बताया। स्वामी दयाराम दास ने कहा कि संस्कृत बचेगी तो ही संस्कृति बचेगी। जिसके लिए अधिक से अधिक गुरुकुल खोलने होंगे।
मौके पर डॉ. ओमप्रकाश पूर्वाल, डॉ. जनार्दन कैरवान, डॉ. सुनील थपलियाल, डॉ. हरीश गुरुरानी, आचार्य विपिन बहुगुणा, शांति प्रसाद मैठाणी, सुभाष चन्द्र डोभाल, सुरेन्द्र दत्त भट्ट, विजय जुगलान, विनायक भट्ट, निमाई चरण दास, राजेन्द्र पांडेय, विनोद कोठारी, डॉ. किशोरी लाल रतूडी, शुभम नौटियाल, शान्ति प्रसाद डंगवाल, डॉ. भानु प्रकाश उनियाल, डॉ. सन्तोष मुनि, विजेन्द्र मौर्य, सुरेश पंत, शंकर भट्ट, रामकृष्ण कोठियाल, मनोज पैन्यूली, संदीप भट्ट आदि मौजूद रहे।