
Rishikesh Assembly chunav 2022: ऋषिकेश विधानसभा सीट पर एक ऐसी बुजुर्ग नेत्री भी चुनावी ताल ठोक रही है, जिसका समूचा राजनीतिक सफर संघर्षों में तपा लेकिन कभी उनके ही दल ने कभी समुचित सम्मान नहीं दिया। नतीजा, आज वह हार-जीत की बजाए सत्य, समर्पण और सम्मान की जीत के लिए अपनी ही पार्टी से बगावत कर चुनाव मैदान में आ डटी है।
इस बुजुर्ग महिला नेत्री का नाम है 68 वर्षीय उषा रावत। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार में जन्मी और दशकों तक पत्रकारिता के क्षेत्र में रही उषा रावत दशकों तक समाजवादी विचारधारा से जुड़ी रही। एक बार नगरपालिका के चुनाव में संयुक्त मोर्चा की उम्मीदवार भी रही। तब वह दूसरे नंबर पर रही थी। उसके कुछ साल बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की।
निशंक सरकार के कार्यकाल में उन्हें उत्तराखंड राज्य आंदोलन सम्मान परिषद का अध्यक्ष बनाया गया। यहां भी उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों के हितों के लिए संघर्ष किया। 2013 में उन्होंने नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए पार्टी में टिकट की दावेदारी की। लेकिन तब उन्हें कमजोर प्रत्याशी बताकर टिकट नहीं दिया गया। बावजूद इसके वह फिर भी एक समर्पित कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी की मजबूती के लिए सड़कों पर संघर्षरत रही।
उन्होंने इसबार के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी में दावेदारी पेश की, लेकिन फिर से उन्हें नकार दिया गया। जिससे व्यथित होकर उषा रावत ने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की ठानी। बताया जा रहा है कि पार्टी के लगातार दबाव के बाद भी वह डटी रही।
अब भी उनका हौसला कम नहीं है। उनका कहना है कि वह किसी की हार या अपनी जीत के लिए चुनाव मैदान में नहीं उतरी हैं, बल्कि जनता के प्रति राजनीतिज्ञों उपेक्षित रवैये के खिलाफ आवाज उठाने के लिए चुनाव लड़ रही हैं।
उनके विजन में ऋषिकेश विधानसभा के लिए उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी शहीद स्मारक के लिए भूमि, आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण, ट्रांसपोर्ट नगर, बालिका महाविद्यालय, आईडीपीएल को पुनर्जीवित करना, खांडगांव और कृष्णानगर कॉलोनी का विनियमितीकरण, त्रिवेणीघाट में गंगा की जलधारा लाना, पुरानी पेंशन की बहाली आदि शामिल है।
उनके इसी हौसले का कमाल है कि क्षेत्र में उन्हें इस जंग में लोगों से प्यार भी मिल रहा है। लिहाजा, यह देखना दिलचस्प होगा कि जानिबे मंजिल में उनके कारवां किस तरह से बड़ा होता है।