
रायवाला (चित्रवीर क्षेत्री की रिपोर्ट)। गौहरीमाफी स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित कार्यशाला में मानव वन्यजीव के बीच संघर्ष रोकने पर मंथन किया गया। वन्यजीव विशेषज्ञों ने इसके लिए जन जागरूकता को सबसे कारगर तरीका बताया। कार्यशाला में पीआरटी सदस्यों समेत 37 लोगों ने प्रशिक्षण हासिल किया।
इंडो-जर्मन मानव वन्यजीव संघर्ष परियोजना के तहत ग्रामस्तर पर गठित प्राइमरी रिस्पान्स टीम (पीआरटी) के मानव वन्यजीव संघर्ष कार्यशाला में जीआईजेड के तकनीकी सलाहकार प्रदीप मेहता ने परियोजना की जानकारी दी। बताया कि यह पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार और उत्तराखंड वन विभाग की ओर से उत्तराखंड, कर्नाटक व पश्चिम बंगाल में संचालित हो रही है। इसके तहत राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे 22 गांवों में मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए ग्रामस्तर पर पीआरटी का गठन किया गया है। अब उनको प्रशिक्षित किया जा रहा है।
कार्यशाला में मानव वन्यजीव संघर्ष के कारण और ऐसी घटनाओं की रोकथाम पर चर्चा हुई। ग्राम प्रधान रोहित नौटियाल ने संस्था के पदाधिकारियों को क्षेत्र की स्थितियों से अवगत कराने के साथ महत्वपूर्ण सुझाव दिए। समापन पर प्रतिभागियों को ग्राम प्रधान प्रतीतनगर अनिल कुमार और रोहित नौटियाल ने प्रशस्ति पत्र सौंपे।
तकनीकी सत्र का संचालन अलका तोमर, डा. ऋषि कुमार, सुधा नौटियाल, हेमानंद बलोदी और शशांक नेगी ने किया। इस दौरान कुटुम्ब सिंह, वीर सिंह, रवि, कुशाल सिंह, भगवती सेमवाल, रेखा पोखरियाल, सरोज, कृष्णा देवी, देव सिंह आदि मौजूद थे।