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रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाना, क्यों है शास्त्र सम्मत? पढ़िए

Rakshabandhan 2022: इसवर्ष रक्षाबंधन के पर्व की तिथियों को लेकर आमजनमानस में संशय की स्थिति बनी हुई है। ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल (Dr- Candi Prasad बताते हैं कि इसबार 12 अगस्त की बजाए 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाना शास्त्र सम्मत है।

घिल्डियाल ने बताया कि 11 अगस्त के दिन सुबह 9:16 बजे पूर्णिमा तिथि के आरंभ के साथ ही उदय व्यापिनी चतुर्दशी तिथि भी विद्यमान है। किंतु, निर्णय सिंधु और धर्म सिंधु के अनुसार पूर्णमासी तिथि का विचार उदय व्यापिनी से नहीं बल्कि अपराह्न व्यापिनी से किया जाता है। उसका संबंध चंद्रमा के उदय से है, और 11 अगस्त का दिन-रात पूर्णमासी तिथि है। पूर्णिमा तिथि 12 अगस्त की सुबह 7:16 पर संपन्न होकर प्रतिपदा प्रारंभ हो जाएगी।

ज्योतिषाचार्य चंडी प्रसाद कहते हैं कि विद्वानों की 11 अगस्त को भद्रा की बात गलत नहीं, लेकिन परंपरागत ज्योतिष के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ अथवा मीन राशि में होता है तब ही भद्रा का वास पृथ्वीलोक में होता है। चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन अथवा वृश्चिक राशि में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में होता है और जब चंद्रमा कन्या, तुला, धनु अथवा मकर राशि में संचरण करता है तब भद्रा का वास पाताल लोक में होता है। स्पष्ट है कि 11 अगस्त को चंद्रमा दिन-रात मकर राशि में संचरण कर रहा है और श्रवण नक्षत्र के साथ आयुष्मान योग है। इसलिए उस दिन रक्षाबंधन मनाना शास्त्रोचित होगा।

डॉ. घिल्डियाल बताते हैं कि स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा मंगलमय होती है। 12 अगस्त को पूर्णमासी सिर्फ उदय व्यापिनी होकर प्रातः 7:16 बजे तक ही रहेगी। उस दिन ब्रह्ममुहूर्त में यज्ञोपवीत धारण करना श्रेयकर है, लेकिन रक्षासूत्र का बंधन शुभकर नहीं माना जा सकता है।

उन्होंने कहा कि बिना संकोच 11 अगस्त को सुबह स्नानादि के बाद भगवान गणेश और शिव का पूजन करें। प्रातः 10:17 बजे से सायं 6.53 बजे तक बहिनें अपने भाईयों की कलाईयों में रक्षासूत्र बांध सकती हैं।

(ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल कुंडली, हस्तरेखा और वास्तु शास्त्र के मर्मज्ञ के साथ-साथ यंत्र साधना के अच्छे जानकार हैं। आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। निवास’ 56/1 धर्मपुर, देहरादून, उत्तराखंड। मोबाइल -9411153845)

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