Uttarakhand Assembly Election 2022: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए अब सिर्फ दो दिन ही बचे हैं। प्रचार के लिए भी कल का दिन शेष है। भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) समेत तमात सियासी दलों ने इस आखिरी दौर के प्रचार में अपनी ताकत झोंक दी है। आज और कल प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में भाजपा, कांग्रेस, आप (Aap) और अन्य दलों के स्टार प्रचारक अपनी पार्टियों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए आ रहे हैं। मगर, यहां सवाल इससे इतर उन सीटों का है जिन पर बगावत के कारण भाजपा और कांग्रेस उलझती दिख रही है। तो क्या ये सीटें सत्ता तक पहुंचने में रोड़ा बन सकती हैं? क्या इनके कारण भाजपा और कांग्रेस की बहुमत की मुराद पूरी नहीं होगी?
बता दें कि प्रदेश में बहुमत के दावों के बीच इसबात की भी चर्चा है कि 10 मार्च को नतीजे ‘त्रिशंकु’ जैसे हालात भी बना सकते हैं। अगर इसे मानकर चलें तो साफ है कि भाजपा और कांग्रेस के लिए इस चुनाव में एक-एक सीट खासी महत्वपूर्ण है। जिन्हें जीतने के लिए उन्होंने एड़ी-चोटी का जोर भी लगा दिया है। तब भी दोनों की दलों के सामने अपने ही बागियों की चुनौती समीकरणों के खेल को उलझा सकती हैं। जिनके लिए उन्हें चुनावी मैदान में हर दिन जूझना पड़ रहा है।
14 फरवरी के दिन जनता ऐसी सीटों पर अपना क्या रुख अख्तियार करेंगी, यह तो EVM में कैद हो जाएगा। लेकिन 10 मार्च तक राजनीतिक दलों की धड़कनों को रोज ही प्रेशर देता रहेगा। लिहाजा अगले दो दिनों में दोनों ही पार्टियां अपने पक्ष में ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए क्या रणनीति तैयार कर जमीन पर उतारते हैं, इसपर उनकी जीत-हार और सत्ता का रास्ता भी तय करेगा।
भाजपा की बगावत वाली सीटें
डोईवाला – जीतेंद्र नेगी
धनोल्टी – महावीर रांगड
धर्मपुर – बीर सिंह पंवार
कोटद्वार – धीरेंद्र चौहान
घनसाली – दर्शन लाल
लालकुआं – पवन चौहान
रुद्रपुर – राजकुमार ठुकराल
भीमताल – मनोज शाह
कांग्रेस की बगावत वाली सीटें
यमुनोत्री – संजय डोभाल
रुद्रप्रयाग – मातबर सिंह कंडारी
घनसाली – भीमलाल आर्य
रामनगर – संजय नेगी
लालकुआं – संध्या डालाकोटी