ब्रह्म ज्ञान से ही प्राप्त होता है ईश्वर का ज्ञानः नरेश विरमानी

Sant Samagam : भक्ति पर्व के अवसर पर संत निरंकारी सत्संग भवन गंगानगर में संत समागम का आयोजन किया गया। समागम में जोनल इंचार्ज हरभजन सिंह की पहल पर देहरादून संयोजक महात्मा नरेश विरमानी ने सतगुरु माता सुदीक्षा का पावन संदेश दिया।
उन्होंने कहा कि प्रभु की रजा में राजी रहना ही उत्तम भक्ति है। संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह ईश्वर की मर्जी से ही हो रहा है जब यह बात मान लेते हैं फिर किसी भी बात का विपरीत प्रभाव हमारे मन पर नहीं होता। मन किसी भी परिस्थिति में परेशान नहीं होता। मनुष्य जन्म ईश्वर की भक्ति के लिए प्राप्त हुआ है, लेकिन मनुष्य केवल माया की प्राप्ति में ही लगा रहता है, इसीलिए जीवन में निरंतर दुख और कष्ट प्राप्त होते है।
महात्मा नरेश विरमानी ने कहा कि केवल ब्रह्म ज्ञान के द्वारा ही ईश्वर की जानकारी होती है। इसके बाद इस आत्मा को बंधनों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। मनुष्य हैं तो मानवीय गुण भी जीवन में होने चाहिए और मानवीय गुण केवल सत्संग द्वारा ही प्राप्त किए जा सकते हैं। जिससे यह जीवन तो सुंदर होता ही है औरों के लिए भी कल्याणकारी होता है।
उन्होंने उदाहरण में बताया कि जिस प्रकार कस्तूरी मृग अपनी खुशबू को जंगल में इधर-उधर ढूंढ़ता है, मगर वह खुशबू उसके अंदर ही निहित होती है। उसी प्रकार इंसान भी परमात्मा को इधर-उधर ढूंढ़ रहा है, लेकिन परमात्मा आत्मा रूप में उसके अंदर विराजमान है।यही जानकारी ब्रह्म ज्ञान के द्वारा प्राप्त होती है, जिसके पश्चात भक्ति संभव है।
भक्ति पर्व पर देहरादून से आए बहन बाला, शीतल, हरदेव, आदि ने अपने विचार संत समागम में रखे। संयोजक महात्मा हरीश बांगा ने आए हुए महात्माओं का धन्यवाद जताया।