द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद
रुद्रप्रयाग। पंचकेदारों में प्रतिष्ठित द्वितीय केदार मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बुधवार प्रातः शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। इसके बाद भगवान की उत्सव डोली और देव निशान ढोल-दमाऊं के साथ शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना हुई।
बुधवार को मद्महेश्वर मंदिर प्रातः साढ़े 04 बजे मंदिर खुल गया था। जिसके बाद मंदिर के गर्भगृह में कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हुई।
भगवान मद्महेश्वर के स्वयंभू शिवलिंग को शृंगार रूप से समाधि स्वरूप में ले जाया गया और पुष्पों, फल पुष्पों व अक्षत से ढका गया। तदुपरांत पुजारी टी गंगाधर लिंग ने शुभ मुहूर्त में मंदिर के कपाट बंद किए।
कपाट बंद होने के बाद हक-हकूकधारियों ने भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली के साथ पहले पड़ाव गोंडार को प्रस्थान किया। बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड़ ने बताया कि डोली गौंडार में रात्रि विश्राम करेगी। 21 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर, 22 नवंबर को गिरिया में रात्रि प्रवास के बाद 23 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में विराजमान हो जाउगी। जहां शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जाएंगी।
बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया इसवर्ष 18 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर के दर्शन किए। प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान ने बताया कि मद्महेश्वर मेले के लिए ओंकारेश्वर मंदिर को सजाया जा रहा है। मौके पर पुजारी टी गंगाधर लिंग, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डीएस भुजवाण, रमेश नेगी, पारेश्वर त्रिवेदी, दिनेश पंवार, अनिल बर्त्वाल आदि मौजूद थे।