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फिर से उठने लगी ‘ऋषिकेश’ जिले के गठन की मांग

गढ़वाल महासभा ने की पहल, सीएम से मिलेगा एक प्रतिनिधिमंडल

ऋषिकेश। अरसे बाद उत्तराखंड में नए जनपदों के पुनर्गठन को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कोटद्वार के लिए स्पीकर ऋतु खंड़ूड़ी ने प्रयास तेज कर दिए हैं, तो ऋषिकेश से भी आवाज उठने लगी है। अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा ने निकटवर्ती तीन विधानसभाओं को मिलाकर ऋषिकेश जिले के सृजन की की मांग की है।

महासभा के अध्यक्ष डॉ. राजे सिंह नेगी ने नए जनपद की मांग को लेकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर अपनी अलग पहचान स्थापित करने के बाद भी ऋषिकेश और आसपास के क्षेत्र के तीन जनपदों में बंटे होने के चलते स्थानीय नागरिकों को दूरस्थ जनपद मुख्यालयों में अपने प्रशासनिक कार्यों के लिए दौड़ लगानी पड़ती है। जो कि उनके श्रम, समय और अर्थ के लिहाज से नुकसानदेह साबित होता है। यहीं नहीं अलग-अलग जिलों में विभाजित इस भूभाग को विकास का पूरा लाभ भी नहीं मिल पाता है। कहा कि ऋषिकेश को नगर निगम का दर्जा मिला तो विकास की उम्मीद जगी, मगर अपेक्षित लाभ नहीं मिला है।

उन्होंने बताया कि लंबे समय से चली आ रही इस मांग को लेकर पूर्व में उन्होंने व्यवस्था परिवर्तन मंच के बैनर पर आंदोलन किया था। तब भी इस दिशा में सरकार ने कोई कदम नहीं बढ़ाया। नजीता, ऋषिकेश, मुनिकीरेती, तपोवन, लक्ष्मणझूला, स्वर्गाश्रम आदि में भौगोलिक समानता के बावजूद इनके अलग-अलग जिलों में बंटे होने से प्रशासिनक अमानताएं मौजूद हैं।

लिहाजा, इन इलाकों के साथ ही निकटवर्ती नरेंद्रनगर, यमकेश्वर और देवप्रयाग विधानसभा के कुछ हिस्से को जोड़कर ऋषिकेश जिला सृजित किया जाना चाहिए। ताकि स्थानीय नागरिकों के साथ ही देश दुनिया से आने वाले टूरिस्ट और तीर्थाटकों को भी इसका लाभ मिल सके।

डॉ राजे नेगी ने बताया कि महासभा का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही इस मसले को मुख्यमंत्री के सामने रखेगा। उन्हें ऋषिकेश नए जनपद के रूप में सृजन की वजहों से अवगत कराया जाएगा। साथ ही जरूरत हुई तो जनसहयोग लेकर आंदोलन के लिए सड़कों पर भी उतरा जाएगा।

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