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हमारे भीतर के दुःखों को मिटाती है रामकथाः लक्ष्मी नारायण

सोमेश्वर महादेव मंदिर में रामकथा के तीसरे दिन मनाया गया राम जन्मोत्सव

ऋषिकेश। सोमेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्रीरामकथा के पांडाल में आज भगवान श्रीराम का प्रकटोत्सव मनाया गया। कथावाचक संत लक्ष्मी नारायणनंद महाराज ने कहा कि जिसतरह से भगवान राम ने असुरों को मारकर सृष्टि को दुःखों से मुक्त किया, उसी तरह रामकथा भी हमारे अंतःकरण के दुःखों को मिटा देते हैं।


बुधवार को बनखंडी स्थित सोमेश्वर मंदिर में श्रीरामकथा के तीसरे दिन भगवान राम के जन्मोत्सव पर पांडाल जयघोष से गुंजायमान हो उठा। कथावाचक संत लक्ष्मी नारायण नंद महाराज ने कहा कि रामचरित मानस में बताते हैं कि रघुकुल श्रेष्ठ राजा दशरथ के प्रासाद में भगवान राम के जन्म पर इसी तरह अयोध्या नगरी भी हर्ष से झूम उठी थी। राम का जन्म ही सृष्टि में निराशाओं के अंत के लिए हुआ था।


उन्होंने कहा कि राम का एक आशय प्रकाश भी है। उनके स्मरण मात्र से हमारा शरीर ही नहीं वरन् मन और आत्मा भी प्रकाशित हो उठती है। हमारे भीतर का अंधकार राम नाम के प्रकाश से उदीप्त हो उठता है। श्रीरामकथा का उद्देश्य भी संसार में ज्ञान के प्रकाश को फैलाना है। यह नाम मनुष्य को तीनों लोकों में तारने वाला है।

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