
सतोपंथ आरोहण के दौरान 2005 में लापता सैनिक का शव 16 साल बाद बर्फ में दबा मिला। घटना के भारतीय सैनिकों का एक दल सतोपंथ के शिखर पर तिरंगा फहरा कर लौट रहा था। सैनिक के पार्थिव शरीर को उत्तरकाशी लाए जाने के बाद पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। डीएम कार्यालय में सोमवार को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ सैनिक को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद पार्थिव देह को सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव भेज दिया गया है।
भारतीय सेना का एक पर्वतारोही दल गंगोत्री हिमालय के सर्वाधिक उच्च शिखर सतोपंथ पर आरोहण के लिए इसी महीने की 12 सितंबर को उत्तरकाशी से रवाना हुआ था। 22 सितंबर को उन्हें बर्फ में एक शव दबा मिला। जवानों ने उसे गंगोत्री लाकर पुलिस के सुपुर्द किया। मामले में पुलिस और सेना ने जानकारियां जुटानी शुरू की, तो मालूम पड़ा कि यह जवान वर्ष 2005 सतोपंथ पर्वत पर तिरंगा फहराने वाले एक दल का सदस्य था। तब एक हादसे में चार जवान खाई में गिर गए थे। जिनमें से तीन के शव बरामद हुए लेकिन सैनिक अमरीश त्यागी का कोई पता नहीं चला।
16 साल बाद 22 सितंबर को सैनिक का शव बरामद हुआ है। आर्मी मुख्यालय द्वारा परिजनों को सूचित करने के बाद परिजनों ने शिनाख्त कर ली है। अमरीश गाजियाबाद के हिसाली गांव के रहने वाले थे। इससे पूर्व डीएम कार्यालय के परिसर में प्रभारी डीएम गौरव कुमार और सैन्य अधिकारियों ने सैनिक को पुष्पचक्र अर्पित कर नमन किया। सैनिक के पार्थिव शरीर को सैन्य सम्मान के साथ उसके पैतृक गांव भेज दिया गया है। शव का डीएनए टेस्ट होना अभी बाकी है।
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