धर्म-कर्मः एकमात्र मंदिर जो ग्रहण काल में भी रहता है खुला..

Solar Eclipse Today: धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण की अवधि में सभी मठ मंदिरों के कपाट बंद रखे जाते हैं। मंदिरों को सूतक काल के प्रारभ होने पर ही बंद कर दिया जाता है। किंतु, उत्तराखंड के मध्य हिमालय क्षेत्र में एक ऐसा मंदिर भी है जिसे ग्रहण काल मे बंद नहीं किया जाता। पौराणिक समय से ही यहां यह परंपरा अनवरत जारी है।
आज मंगलवार के दिन इसवर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण का समय प्रातः 4 बजकर 26 मिनट से प्रारंभ हो चुका है, जिसका समापन शाम 5 बजकर 32 मिनट पर होगा। इसके 12 घंटे पहले आरंभ सूतक काल से ही उत्तराखंड समेत देश के तमाम हिस्सों में मठ मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं। इनमें उत्तराखंड के चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री समेत सभी सिद्धपीठ और स्थानीय मंदिर भी शामिल हैं।
उत्तराखंड के जनपद चमोली की उर्गम घाटी में एक ऐसा भी मंदिर है, जिसके कपाट आज भी खुले हुए हैं। बताया जाता है कि उर्गम घाटी में अवस्थित कल्पेश्वर महादेव मंदिर (Kalpeshwar Mahadev Temple) के द्वार ग्रहण काल में भी बंद नहीं किए जाते हैं। यहां तक कि इस मंदिर के गर्भगृह को भी कभी बंद नहीं किया जाता है। युगों-युगों से यहां इसी परंपरा का निर्वह्न सतत हो रहा है।
कल्पेश्वर महादेव मंदिर को ग्रहण काल में बंद न करने को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ आशुतोष शिव का ‘जटा भाग’ विद्यमान है। शास्त्रों के अनुसार चूंकि भगवान शिव ने स्वर्ग से पृथ्वी लोक में अवतरित होने के समय मां गंगा के वेग को अपनी इन्हीं जटाओ में रोका था, इसलिए पृथ्वी के कल्याण के निमित्त इस मंदिर को कभी बंद नहीं रखा जाता है।