Uttarakhand Assembly Backdoor Recruitment case: उत्तराखंड में सरकारी भर्तियों को लेकर इनदिनों खासा हंगामा मचा हुआ है। यूकेएसएसएससी की जांच और लगातार गिरफ्तारियों के बाद दरोगा भर्ती 2015-16 भी जांच की जद में आ गई है, तो वहीं विधानसभा में बैकडोर भर्ती पर तत्कालीन स्पीकर और मौजूदा काबीना मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का आक्रामक अंदाज वाला बयान सुर्खियों में आ गया है।
देहरादून में काबीना मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस प्रकरण पर मीडिया के सवालों का जवाब बेहद आक्रामक अंदाज में दिया। कहा कि गैरसैंण में मैनपावर की जरूरत थी, तो उन्होंने टेंपरेरी भर्तियां की हैं। सब कुछ नियमानुसार हुआ है। यह भी कि 2002 से अब तक की विधानसभा में पहली बार भर्ती के लिए परीक्षा कराई गई, यह मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है।
राजनीतिक लोगों के करीबियों को नौकरी देने पर बोले, हां हुई हैं ऐसी भर्तियां, पहले भी होती रही। वे उस परिधि में आ रहे थे, इसलिए भर्ती किया। गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी के लिए मैनपावर की आवश्यकता थी, तो टेंपरेरी तौर पर भर्ती की गई। डिप्टी सेक्रेटरी को एक साल में तीन प्रमोशन देकर विधानसभा सचिव बनाने के सवाल को उन्होंने स्वीकार किया।
बोले कि विधानसभा अध्यक्ष को अधिकार है वह आवश्यकता के अनुसार स्टाफ रखे। सब कुछ नियमानुसार हुआ है, तो इसमे जांच की बात कहां से आ गई। एक पूर्व सीएम के हस्ताक्षर नहीं करने के बयान पर बोले कि त्रिवेंद्र रावत जी को भी पता होना चाहिए। अग्रवाल ने मीडिया के कुछ सवालों से यह कहकर किनारा कर लिया कि यह विधानसभा ही बता सकती है।
उधर, सोशल मीडिया कें पूर्व स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल में 72 से लेकर 129 भर्तियों की बात उछल रही है। यही न हीं नियुक्त लोगों की लिस्ट भी वायरल हो चुकी है। जिसके बाद से ही विधानसभा में बैकडोर नियुक्तियों की जांच वर्ष 2002 से करने की बात भी कही जा रही है।