देहरादून। भाजपा में शामिल होने के बाद भी किशोर उपाध्याय (Kishor Upadhyay) ने वनाधिकार कानून के मसले को छोड़ा नहीं है। इसबार उन्होंने पर्वतीय जनपदों में मतदान में कमी को इसका आधार बनाया है। कहना है कि वनाधिकार आंदोलन के मुद्दे ही इसका जवाब हैं।
किशोर उपाध्याय ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में मतदान में कमी चिंता का विषय है। इस पर चिंतन नहीं किया जा रहा है। पहाड़ों में सुविधाओं के अभाव में लोग पलायन कर रहे हैं। सवाल उठाया कि यदि स्थानीय लोगों के हित सुरक्षित हों, उन्हें उनके हकहकूक दिए जाएं तो लोग भला पलायन क्यों करेंगे?
उन्होंने मांग उठाई कि सभी उत्तराखंडवासियों को ओबीसी घोषित किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण की सुविधा मिलनी चाहिए। हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी, प्रतिमाह एक गैस सिलेंडर, बिजली और पानी भी मुफ्त दिया जाए।
इसके अलावा उन्होंने जड़ी-बूटियों पर स्थानीय निवासियों का अधिकार, शिक्षा-स्वास्थ्य सुविधाएं, निशुल्क रेत-बजरी दी जाएं। जंगली जानवरों से जनहानि पर पीडित परिवार को 25 लाख मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी की व्यवस्था की जाए। साथ ही खेती को लाभकारी बनाने और व्यवस्थित करने के लिए राज्य में चकबंदी को तत्त्काल प्रभाव से लागू किया जाए।