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BJP Uttarakhand: .. तो काउंटिंग के बाद ‘भितरघातियों’ की खैर नहीं?

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने से पहले ही भारतीय जनता पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं। निर्वतमान विधायक अपनों पर भी भितरघात का आरोप लगा रहे हैं। यहां तक कि ऐसा आरोप प्रदेश अध्यक्ष तक पर लग चुका है। हाईकमान इन हालातों से परेशान है। मगर, अन्य राज्यों में चुनाव शेष रहने के चलते वह भिरतघातियों पर कार्रवाई भी नहीं कर पा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व राज्य में अपेक्षित परिणाम नहीं आने की स्थिति में बड़ा एक्शन ले सकता है।

बता दें कि, मतदान संपन्न होने के बाद सबसे पहले लक्सर के विधायक और प्रत्याशी संजय गुप्ता ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर उन्हें हराने और बसपा प्रत्याशी के सहयोग करने का आरोप लगाकर सनसनी पैदा कर दी थी। लगे हाथ अगले कुछ ही दिनों के अंदर चंपावत के विधायक व प्रत्याश कैलाश गहतोड़ी, काशीपुर विधायक हरभजन सिंह चीमा और फिर दो दिन पहले यमुनोत्री के विधायक व प्रत्याशी केदार सिंह रावत ने अपनों पर हराने के आरोप मढ़े।

संजय गुप्ता, कैलाश गहतोड़ी और हरभजन सिंह चीमा के आरोपों के बाद पार्टी में मची उथलपुथल की बता शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची तो सीएम पुष्कर सिंह धामी को दिल्ली तलब किया गया। जबकि प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से रिपोर्ट मांगी गई। साथ ही हाईकमान ने मतदान के बाद प्रदेश की सभी 70 विधानसभाओं का संभावित डाटा भी जुटाया। धामी एक दिन पहले ही दिल्ली से रिपोर्टिंग कर लौट चुके हैं। कौशिक की रिपोर्ट्स के बारे अभी कोई बात सामने नहीं आई है।

भाजपा के भीतर के इस तूफान पर कांग्रेस भी चुप नहीं है। उसने विधायकों के आरोपों को पार्टी की संभावित हार से जोड़ दिया। जिसका असर अन्य राज्यों में चुनाव के शेष चरणों पर इसका असर न जाए, इसलिए शीर्ष नेतृत्व ने ऐसे सभी नेताओं को अपनी बात मीडिया की बजाए पार्टी फोरम में ही रखने की हिदायत दी। हालांकि इसका असर होता नहीं दिख रहा है।

अब मीडिया रिपोर्ट्स में चर्चा है कि भितरघात की जंग पर केंद्रीय नेतृत्व सख्त एक्शन का मन बना चुका है, लेकिन इसे अमल में लाने से बच भी रहा है। माना जा रहा है कि 10 मार्च को मतगणना के बाद भितरघातियों पर बीजेपी कोई बड़ा एक्शन ले सकती है।

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