आसुरी वृत्तियों का नाश करने वाले हैं शिवः पं. अभिषेकानंद
बनखंडी स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर में शिव महापुराण कथा का पांचवां दिन

ऋषिकेश। बनखंडी स्थित सिद्धपीठ सोमेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन श्रोताओं ने शिव-पार्वती विवाह कथा का रसपान किया। कथावाचक प्रेममूर्ति पंडित अभिषेकानंद ने कहा कि शिव पशुपति अर्थात सभी जीवों के देवता हैं। इसीलिए उनके विवाह में देव और असुरों के साथ ही सभी प्राणी भी शामिल हुए।
महादेव मंदिर में ब्रह्मलीन महंत गदाधरानंद महाराज की 35वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष में महंत रामेश्वर गिरी महाराज की ओर से आयोति शिव महापुरान कथा में बुधवार को कथा व्यास पंडित अभिषेकानंद ने शिव-पार्वती विवाह के प्रसंगों का वर्णन किया। कहा कि समस्त लोक ही आदि देव शिव का परिवार है। इस कथा को आध्यात्मिक जगत में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
पंडित अभिषेकानंद ने कहा कि शिव जगत के नियंता के साथ ही कल्याण करने वाले और आसुरी वृत्तियों को नाश करने वाले हैं। क्षणिक भक्ति के भाव से भी आशुतोष शिव प्रसन्न हो जाते हैं। विवाह के प्रसंग में कहा कि राजा पर्वतराज शिव का वंश जानना चाहते थे, जब किसी ने और स्वयं भगवान शिव ने कोई जवाब नहीं दिया तो पर्वतराज रुष्ट हो गए। तब नारद मुनि ने कहा कि भगवान शिव स्वयंभू हैं, उनके कोई माता पिता नहीं। उन्होंने स्वयं की रचना की है।
पांडाल में श्रोताओं ने कथा के अवसर पर भजनों का भी आनंद लिया। आयोजन में मुख्य जजमान हरिराम अरोड़ा, रमेश अरोड़ा, पंडित सुमेश भट्ट समेत सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।