देहरादूनलोकसमाज

धाद संस्था अब ‘हरेला गांव अभियान’ भी चलाएगी

गांवों के उत्पादन तंत्र के विकास और बाजार मुहैया कराने करेगी सहयोग

देहरादून। सामाजिक संस्था ‘धाद’ ने अपने हरेला कार्यक्रम को विस्तार देते हुए हरेला वन के साथ ‘हरेला गांव’ को भी प्रारम्भ किया है। इसके माध्यम से धाद राज्य के हिमालयी गांवों से जुड़कर हरियाली और उत्पादकता के लिए कार्यक्रम आयोजित करेगी। जनपद पौड़ी के कल्जीखाल ब्लॉक नैल धमेली के प्रधान ने उम्मीद जताई कि कार्यक्रम उनके क्षेत्र के उत्पादन को सही मूल्य दिलवाने में सहायक सिद्ध होगा।

रविवार को धाद ने मालदेवता में फंची कार्यक्रम के अंतर्गत पहाड़ के समूह भोज कार्यक्रम कल्यो का आयोजन किया। लोगों ने पहाड़ के पारंपरिक भोज के साथ खेती की चुनौतियों पर संवाद किया। संस्था के सचिव तन्मय ने कहा हरेला गांव का विचार उत्तराखंड हिमालय के उन सभी गांव की हरियाली और खुशहाली के निमित्त पहल है। धाद ऐसे सभी गांवों के साथ जुड़कर उनकी बेहतरी के लिए काम करने की पहल करेगी। बताया कि हम स्थानीय निवासियों और प्रवासियों के साथ मिलकर गांव के उत्पादन तंत्र के विकास और विपणन में सहयोग करेंगे। आधुनिक प्रयासों की जानकारी के साथ उत्पादन को सही मूल्य और बाजार दिलवाने में सहयोगी संस्था फंची सहकारिता के माध्यम से किया जाएगा।

प्रगतिशील किसान चंद्रमोहन ने कहा कि पहाड़ में उत्पादन को आज सही विपणन की जरूरत है, ताकि उसे सही कीमत मिल सके। पलायन की मार से जूझ रहे गांवों में स्थानीय खपत बहुत काम है, श्रमिकों का भी अभाव है। इसलिए हमे अन्य बाजार तलाशने पड़ते हैं। कहा की उत्तराखंड के बड़े शहर एक बड़ा बाजार हैं जहां अगर संगठित खरीद हो सके तो पहाड़ के उत्पादनशील गांवों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

सामाजिक कार्यकर्ता उत्तम सिंह रावत ने पहाड़ी खेती को ऑर्गनिक प्रमाणपत्र जारी करने का सुझाव दिया। ट्रीज ऑफ दून के संयोजक हिमांशु आहूजा ने कहा कि प्रोसेसिंग ही उसके वेस्टेज को बचा सकती है पिंडर घाटी के भूतपूर्व सैनिक रामचंद्र सती ने कहा कि आज भी उनके क्षेत्र में उत्पादन बिना खरीद के खराब होने की स्थिति में है, क्योंकि उसका सही मूल्य मिलने की कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं है।

संस्था के उपाध्यक्ष डीसी नौटियाल सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। मौके पर सुभाष ममगाईं, साकेत रावत, सुशील पुरोहित, ब्रजमोहन उनियाल, टीआर बरमोला, शिवप्रसाद जोशी, वीरेंद्र खंडूरी, अनुराधा खंडूरी, वैष्णवी, इंदुभूषण सकलानी, रेनू नेगी, आशा सती, नरेंद्र उनियाल, सविता जोशी, आशा डोभाल, गणेश चंद्र उनियाल, विनीता उनियाल आदि मौजूद थे।

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