Rishikesh: धार्मिक संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर संत समिति मुखर
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ऋषिकेश। संत समिति ने तीर्थनगरी में धार्मिक संपत्तियों की खरीद फरोख्त का विरोध किया। समिति ने इससे जुड़े लोगों के खिलाफ रासुका और गुंडा एक्ट लगाने की मांग की है। बताया कि इस मामले में समिति जल्द राज्यपाल और मुख्यमंत्री से भी मिलेगी।
रेलवे रोड स्थित महानंद आश्रम में संत समिति की बैठक में तीर्थनगरी में धार्मिक संपत्तियों को व्यवसायिक स्वरूप दिए जाने पर चिंता जताई गई। समिति के अध्यक्ष महंत विनय सारस्वत ने कहा कि मठ, मंदिरों और धर्मशालाओं से ऋषिकेश की पहचान एक धार्मिक क्षेत्र के रूप में रही है। लेकिन कुछ धार्मिक संस्थाओं और भूमाफियों के द्वारा ऐसी संपत्तियों को व्यवसायिक भवनों में बदला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में यात्राकाल के दौरान धर्मशालाओं के अभाव में तीर्थयात्रियों को तीर्थनगरी में सड़कों पर सोते देखा गया। बताया कि समिति इस बारे शासन-प्रशासन को कई बार अवगत करा चुकी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।
बैठक में व्यवसायीकरण को लेकर धार्मिक संस्थाओं और ट्रस्टों का भी विरोध किया गया। संतों ने शासन-प्रशासन से व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए बदली जा रही धार्मिक संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लेने की भी मांग की है।
बैठक में समिति के महामंत्री महंत रामेश्वर गिरी महाराज, महंत पूर्णानंद, महंत कृष्णानंद महाराज, महंत राजेंद्र गिरी, महंत हरिनारायणाचार्य, महंत केवल्यानंद महाराज, महंत नित्यानंद गिरी, महंत निर्मल दास, महंत कृष्णकांत, स्वामी धर्मवीर दादूपंथी, महंत धर्मदास, महंत नित्यानंद पुरी, महंत बलवीर सिंह, महंत इंदर गिरी, महंत हृयग्रीवाचार्य, महंत सुंदरानन्द, महंत हरिदास महाराज, महंत धर्मानंद गिरी, महंत कृष्णकांत, कोतवाल ध्यानदास, कोतवाल गोपाल आदि मौजूद थे।