केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) के बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने ट्वीट के जरिए चुटकी ली है। लिखा- पहले राजनाथ सिंह जी ने और अब नितिन गडकरी जी ने अपने मन की बात कही है। क्या ये जलवायु परिवर्तन के संकेत हैं?
बता दें कि, रविवार (24 जुलाई, 2022) को जम्मू में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, ‘1962 में चीन ने लद्दाख में हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया। उस वक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे। उनकी नीयत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। किसी प्रधानमंत्री की नीयत में खोट नहीं हो सकता, लेकिन यह बात नीतियों पर नहीं लागू होती है। हालांकि अब भारत दुनिया के ताकतवर देशों में है।‘
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आज भारत आत्मनिर्भर हो रहा है। भारत जब बोलता है तो दुनिया सुनती है। उन्होंने कहा, 1962 में हम लोगों को जो नुकसान हुआ उससे हम परिचित हैं। उस नुकसान की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है। हालांकि अब देश मजबूत है। उन्होंने पीओके को लेकर भी कहा कि भारत की संसद में इसको लेकर प्रस्ताव पारित हुआ था। यह क्षेत्र भारत का था और भारत का ही रहेगा। ऐसा नहीं हो सकता कि बाबा अमरनाथ हमारे यहां हों और मां शारदा सीमा के उस पार हों।
वहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि ‘कभी-कभी मन करता है कि राजनीति ही छोड़ दूं। समाज में और भी काम हैं, जो बिना राजनीति के किए जा सकते हैं।’ कहा कि ‘महात्मा गांधी के समय की राजनीति और आज की राजनीति में बहुत बदलाव हुआ है। बापू के समय में राजनीति देश, समाज, विकास के लिए होती थी, लेकिन अब राजनीति सिर्फ सत्ता के लिए होती है। हमें समझना होगा कि राजनीति का क्या मतलब है। क्या यह समाज, देश के कल्याण के लिए है या सरकार में रहने के लिए है?’
गडकरी ने कहा कि ‘राजनीति गांधी के युग से ही सामाजिक आंदोलन का हिस्सा रही है। उस समय राजनीति का इस्तेमाल देश के विकास के लिए होता था। आज की राजनीति के स्तर को देखें तो चिंता होती है। आज की राजनीति पूरी तरह से सत्ता केंद्रित है। मेरा मानना है कि राजनीति सामाजिक-आर्थिक सुधार का एक सच्चा साधन है। इसलिए नेताओं को समाज में शिक्षा, कला आदि के विकास के लिए काम करना चाहिए।’