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कुछ शर्तों के साथ हो सकेगी चारधाम यात्रा

हाईकोर्ट ने हटाई रोक, कुछ प्रतिबंधों को भी किया अनिवार्य

नैनीताल। उत्तराखंड के चारों धामों की यात्रा को सरकार अब सुचारू कर सकेगी। हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा शुरू करने पर लगी रोक को हटा लिया है। लेकिन कुछ प्रतिबंध भी लगाए हैं, जिनका अनुपालन जरूरी होगा।

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने चारधाम यात्रा के बाबत सरकार के शपथपत्र पर सुनवाई की। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और शासकीय अधिवक्ता सीएस रावत ने यात्रा को लेकर प्रदेश सरकार की तैयारियों की जानकारी अदालत को दी।

बताया कि सरकार ने चारोंधामों में कोविड-19 के मद्देनजर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खास तैयारियां की हैं। महाधिवक्ता ने सरकार की ओर से हाईकोर्ट से यात्रा पर लगे स्टे को हटाने की मांग की। सरकार का पक्ष जानने के बाद बेंच ने कुछ अनिवार्यताओं के साथ स्टे को हटा लिया।

कोर्ट ने यात्रा से पूर्व यात्रियों के पंजीकरण, दोनों कोविड-19 का सर्टिफिकेट साथ रखने, कोविड नेगटिव रिपोर्ट को अनिवार्य किया है। साथ ही तीर्थों की क्षमता के आधार पर प्रतिदिन यात्रियों की संख्या का निर्धारण भी किया है। जिसके तहत बदरीनाथ में प्रतिदिन 1200, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति मिलेगी। इसके अलावा तीर्थयात्री चारोंधामों में स्थिति किसी भी कुड में स्नान नहीं कर सकेंगे।

उधर, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार पुख्ता स्वास्थ्य सेवाओं के साथ चारधाम यात्रा की व्यवस्था करेगी, ऐसी उम्मीद करते हैं। यह तैयारियां सरकार पहले करती तो रोक लगाने की जरूरत नहीं होती।

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