
• केशव डुबर्याळ “मैती“
मुंड मलासणौ,
सबी तैयार छन,
पर कै थै असप्ताळम,
मुंडरा गोळी भी मील होली,
बता दियां भारे मिथै भी?
वन त समाजसेवी,
बिंडी ह्वेगेनि सिथै तब,
पर कै गरीब गुरबौ,
भल्लु कारू होल कैन,
बता दियां भारे मिथै भी?
भारी प्रचार कैरी,
हमरै बीच बटे चुनौ जीती गेनी,
पर क्वी वापिस भी आयी,
देखि होलु कैन,
बता दियां भारे मिथै भी?
रुप्या बल आणा ही रैं,
विकास का नौ फरे,
पर कख ह्वै होलु विकास,
देखि होलु तुमुन,
बता दियां भारे मिथै भी?