समर्पण सिर्फ शब्दों में नहीं, आचरण में भी होना चाहिए: सुदीक्षा
बाबा हरदेव सिंह की स्मृति में समर्पण दिवस पर वर्चुअल समागम आयोजित

ऋषिकेश। संत निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह महाराज की स्मृति में समर्पण दिवस पर वर्चुअल संत समागम आयोजित किया गया। समागम में सतगुरु माता सुदीक्षा कहा कि सतगुरु बाबा हरदेव सिंह का जीवन प्रेम, त्याग, सेवा और शिक्षाओं को समर्पित रहा। हमें भी ऐसा ही भक्ति और समर्पण वाला जीवन अपनाना चाहिए। कहा कि समर्पण केवल शब्दों तक सीमित न होकर जीवन के व्यवहार में उतरना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सच्चा आदर और प्रेम केवल वाणी से नहीं, बल्कि कर्मों से प्रकट होता है। यदि हम बाबा हरदेव सिंह की शिक्षाओं को सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित रखते हैं, तो वह सच्चा समर्पण नहीं। समर्पण का वास्तविक रूप तभी प्रकट होता है जब हम अपने भीतर झांकें और आत्म-विश्लेषण करें, कि क्या हम वास्तव में विनम्रता, क्षमा और प्रेम जैसे गुणों को जी रहे हैं?
समागम में उन्होंने कहा कि समर्पण दिवस एक तिथि नहीं, बल्कि अवसर है, यह सोचने का कि क्या हम वाकई अपने जीवन को इन शिक्षाओं से जोड़ पाए है? प्रेम, एकता, मानवता और विनम्रता को अपने भीतर बसाकर ही हम इस दिवस को सार्थक बना सकते हैं। यही बाबा हरदेव सिंह के प्रति सच्चा आदर और समर्पण होगा।
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने विचार, गीत, कविता और भजनों के माध्यम से बाबा की करुणा, प्रेम और समर्पण को साझा किया। वहीं माता सुदीक्षा ने श्रद्धेय अवनीत जी को एक सच्चा गुरसिख बताया, जिन्होंने अपने आचरण से समर्पण की मिसाल प्रस्तुत की।
इस अवसर पर ’हरदेव वचनामृत’ का विमोचन भी किया गया। कहा कि इस पुस्तक में बाबा हरदेव सिंह के दिव्य विचार, उपदेश और सत्संग वचन समाहित किए गए हें। इस संकलन में प्रेम, सेवा, विनम्रता, एकत्य और निरंकार से जुड़ाव जैसे मूल तत्वों को सरल एवं मार्मिक भाषा में प्रस्तुत किया गया है।