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डेंगूः Aiims का ‘सेवन प्लस वन’ मॉडल, अब राज्यभर में लागू

सूबे स्वास्थ्य महकमे ने दी मंजूरी, ऋषिकेश शहर में मिले थे अच्छे परिणाम

Aiims Rishikesh News: ऋषिकेश। डेंगू से निपटने के लिए अब राज्यभर में भी सेवन प्लस अभियान संचालित होगा। एम्स ऋषिकेश की इस पहल पर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने अपनी मुहर लगाई है। एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने इस कामयाबी के लिए संस्थान की सोशल आउटरीच सेल की सराहना की है।

दरअसल, ऋषिकेश क्षेत्र में डेंगू के प्रकोप के मद्देनजर बचाव और रोकथाम के लिए स्वतः संज्ञान लेते हुए एम्स के सीएफएम विभाग और सोशल आउटरीच सेल ने वर्ष 2019 में सेवन प्लस वन मॉडल तैयार किया। जिसमें समाज की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई। अभियान की शुरूआत पहले संस्थान और फिर नगर के डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में संचालित किया गया। जिसके अच्छे नतीजे सामने आए।

एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने आमजन से डेंगू जैसी बीमारी को रोकने के लिए अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की है। संस्थान की सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना ने जनस्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रमों के लिए डॉ. संतोष कुमार को हरसंभव सहयोग दिया जाएगा।

सोशल आउटरीच सेल के नोडल अधिकारी डॉ. संतोष कुमार ने सेवन प्ल्स वन अभियान को राज्य में लागू करने के लिए चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के महानिदेशक, अपर निदेशक व नेशनल वेक्टर बोन डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ. पंकज सिंह का आभार जताया।

क्या है सेवन प्लस वन मॉडल
सेवन प्लस वन मॉडल सामुहिक भागीदारी से डेंगू जनित बिमारियों से बचाव, रोकथाम और जागरूकता को बढ़ावा देता है। इसमें डेंगू मच्छर को प्रजनन से पहले की समाप्त किया जाता है। इस मॉडल को एम्स के सीएफएम विभाग, सोशल आउटरीच सेल और नोडल अधिकारी डॉ. संतोष कुमार के साथ टीम ने तैयार किया है। वर्ष 2019 में अभियान का प्रथम चरण एम्स परिसर और फिर नगर निगम व एम्स के साझा प्रयासों से ऋषिकेश के शहरी क्षेत्रों में संचालित किया गया।

सेवन प्लस वन की खासियत
इसमें समाज के हर वर्ग के साथ ही छात्र-छात्राओं, स्वयंसेवी संगठनों, आशा व एएनएम कार्यकत्रियों और स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल किया जाता है। प्रत्येक दिन करीब एक घंटा संबंधित क्षेत्र में डेंगू के लारवा प्रजनन स्थलों को नष्ट करना होता है। यह प्रक्रिया सप्ताह के पूरे सात दिन चलाया जाता है। बता दें कि ऋषिकेश शहर में इसके सुखद परिणाम सामने आए हैं।

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