देहरादून

पर्यावरण संरक्षण नीति में शामिल होना चाहिए हिमालयी लोगों का ज्ञान: धामी

Himalaya Day 2025 : देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालय के संरक्षण के लिए विकास के साथ पर्यावरण का संतुलन भी जरूरी है। हिमालय को संरक्षित करने के लिए हमें और अधिक कार्य करने होंगे। राज्य सरकार की ओर से इस दिशा में प्रयास जारी हैं। कहा कि हिमालय के लोगों के अनुभवों और पारंपरिक ज्ञान को पर्यावरण संरक्षण नीति में भी सम्मिलित करना चाहिए।

मुख्यमंत्री धामी ने यह बात हिमालय बचाओ अभियान को लेकर हिंदुस्तान अखबार द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि हिमालय हमारे देश की आत्मा, संस्कृति और प्रकृति की अनुपम धरोहर है। इससे निकलने वाली जीवनदायिनी नदियां करोड़ों लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के साथ ही ऊर्जा का प्रमुख स्रोत भी हैं। हिमालय में दुर्लभ वनस्पतियां और जीव-जंतु भी हमारे पर्यावरण की महत्वपूर्ण धरोहर हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हिमालयी क्षेत्रों में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए वन संरक्षण, जल संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य कर रही है। पौधरोपण, जल संरक्षण अभियान और पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से हम हिमालय के संरक्षण की दिशा में नियमित प्रयास कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में पर्यटन एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि है। राज्य सरकार द्वारा सस्टेनेबल टूरिज्म को बढ़ावा देने के साथ ही राज्य में प्लास्टिक वेस्ट के प्रबंधन के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम प्रारम्भ किया गया। इस एक छोटी सी पहल से हिमालयी क्षेत्र में 72 टन कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सफलता मिली।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले हमारे लोगों की ज्ञान, परंपराएं और जीवनशैली कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर जीवन जीना सिखाती है। उनके अनुभवों और पारंपरिक ज्ञान को पर्यावरण संरक्षण नीति में भी सम्मिलित करना चाहिए। जब प्रत्येक व्यक्ति हिमालय संरक्षण के प्रति जागरूक होकर अपनी जिम्मेदारी समझेगा, तभी हम इस अनमोल धरोहर को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख पाएंगे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने हिमालय और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले कई लोगों को सम्मानित भी किया।

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