रामनगर (नैनीताल)। हिमालय दिवस पर महाविद्यालय में आयोजित परिचर्चा के दौरान ग्लोबल वार्मिंग पर आधारित विपिन ध्यानी के काव्य संग्रह ‘सवाल कुदरत के’ का लोकार्पण किया गया।
हिमालय दिवस के उपलक्ष में ‘हिमालय की दशा और दिशा’ विषय पर आयोजित परिचर्चा का एसडीएम राहुल शाह ने शुभारंभ किया। इसबीच अतिथियों ने काव्यांश प्रकाशन से प्रकाशित कविता संग्रह ‘सवाल कुदरत के’ का लोकार्पण किया।
मुख्य वक्ता प्रो. अधीर कुमार ने कहा कि विपिन ध्यानी का कविता संग्रह पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके चिंतन का प्रतिबिम्ब है। 51 कविताओं के माध्यम से वह न केवल मनुष्य की कारगुज़ारियों का ख़ुलासा करते हैँ, बल्कि अपनी सभी रचनाओं में पर्यावरण से जुड़े सभी मुद्दों को उठाते हुए इंसान को आगाह भी करते हैं कि अब भी वक़्त है संभल जाओ, पहले ही बहुत देर हो चुकी है।
प्रो. अधीर कुमार परिचर्चा के विषय पर कहा कि मनुष्य के पास जो है और जो उसे चाहिए सब उसके बीच का असंतुलन है। अन्य वक्ताओं में इमरान खान, डॉ. हरेंद्र बरगली, सुमन्ता घोष, डॉ. धनेश्वरी घिल्डियाल, संजय छिमवाल, वीएन शर्मा, मितेश्वर आनंद, संतोष मेहरोत्रा आदि ने हिमालय के अनियंत्रित दोहन और नीतिगत खामियों पर चिंता जताई।
कार्यक्रम अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. एमसी पांडे’ ने हिमालय की समस्याओं को लोभ और अविवेकी दोहन का प्रतिफल बताया। उन्होंने इकॉनमी के साथ इकोलॉजी का ध्यान देने पर बल दिया। मौके पर शिक्षक, प्रकृतिविद, पर्यावरण व वन्य जीव विशेषज्ञ, साहित्यिक व शिक्षाविद आदि लोग मौजूद रहे।