मुजफ्फरनगर। डीएवी डिग्री कॉलेज में आयोजित समारोह में कवियत्री सुनीता अबाबील को उनके कविता संग्रह ‘पांच मर्दों वाली औरत’ के लिए ‘श्री सोहनवीर सिंह प्रजापति स्मृति चाक कविता सम्मान-2022’ प्रदान किया गया। इस अवसर पर साहित्यकारों ने उनके कविता संग्रह पर अपने विचार रखे।
समारोह के मुख्य वक्ता प्रख्यात लेखिका अनिता भारती ने कहा कि सुनीता अबाबील एक सजग और सचेत कवियत्री हैं। इस दौर में जबकि भाषा के सौन्दर्य की आड़ में यथार्थ से मुंह चुराने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, सुनीता अबाबील यथार्थ को प्रकट करती हैं। उनकी कविताएं दलित स्त्री विमर्श खड़ा करती हैं।
मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध कथाकार योगेन्द्र आहूजा ने चाक के विभिन्न पहलुओं पर कहा कि चाक श्रम का प्रतीक है। सुनीता की कविताएं श्रम के महत्व को रेखांकित करती हैं। कहा कि इस राह में बड़े खतरे हैं। हमें इन खतरों से सावधान रहते हुए आगे बढ़ना है। विशिष्ट अतिथि ‘कथादेश’ के संपादक हरिनारायण ने सम्मान के लिए सुनीता अबाबील को शुमकामनाएं दी। डॉ. गोरखनाथ मस्ताना ने कहा कि कि सुनीता की कविताएं प्रतिरोध का जज्बा पैदा करती हैं। वे खामोशी तोड़ने वाली कवियत्री हैं।
डॉ. संतोष पटेल ने कहा कि उनकी कविताएं अपने समाज के तन्तुओं को खोलती हैं। अलक्षित बातें उनकी कविताओं मे दर्ज होती हैं। युवा कवि और आलोचक अरुण कुमार ने कहा कि दलित स्त्री का दुख स्वर्ण स्त्री के दुख से अलग है। आधी आबादी की बात सुनने की प्रक्रिया में हमें दलित स्त्रियों पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा। इसबीच सुनीता अबाबील ने अपनी कविताओं का पाठ किया।
प्रतिष्ठित आलोचक डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि कवि या लेखक के जीवन में एक रिक्तता बनी रहनी चाहिए। यह रिक्तता ही सृजन को एक नया आयाम देती है। हमें अतीत से सबक लेते हुए अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा।
समारोह के दूसरे सत्र में कवि गोष्ठी आयोजित हुई। डॉ. गोरखनाथ मस्ताना, डॉ संतोष पटेल, भारतेन्दु मिश्र, अब्दुल हक सहर, सुशीला जोशी, सुशीला शर्मा, कमला शर्मा और पूजा गोयल ने काव्य पाठ किया। संयोजक रमेश प्रजापति रहे। कार्यक्रम का संचालन रोहित कौशिक ने किया।
इस अवसर पर संयोजक रमेश प्रजापति की माता केला देवी, ममता प्रजापति, कमल प्रजापति, परमेन्द्र सिंह, प्रो. आरएम तिवारी, डॉ प्रदीप जैन, गय्यूर अहमद, नेमपाल प्रजापति, तरुण गोयल, मनु स्वामी, कमल त्यागी, डॉ अरविन्द कुमार, संतोष शर्मा, योगेन्द्र सोम, सुनील शर्मा, विपुल शर्मा आदि साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।