उत्तराखंड

पहाड़ के अनुरुप बनें उसके विकास की नीतियां

• हेरवाल गांव में ‘गांव वापसी संवाद’ कार्यक्रम आयोजित

• विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए कई लोगों को किया गया सम्मानित

टिहरी। हेरवाल गांव में आयोजित तीन दिवसीय गांव वापसी संवाद कार्यक्रम में वक्ताओं ने राज्य के वर्तमान और भविष्य को लेकर अपने विचार रखे। उन्होंने पहाड़ों के लिए विकास की नीति उसके भौगोलिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक स्वरूप के दृष्टिगत बननी चाहिए। संवाद कार्यक्रम में दरकते जोशीमठ की आवाज भी उठी। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए कई शख्सियतों को भागीरथी सम्मान से भी नवाजा गया।

जनपद टिहरी में सेम नागराजा की धरती पर हेरवाल गांव में ‘गांव वापसी संवाद’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने राज्य विकास के मौजूदा स्वरूप पर चर्चा की। समाजसेवी डॉ. राजे नेगी ने बुनियादी शिक्षा को सरल बनाने पर जोर दिया। साथ ही रोजगार के पलायन के साथ भाषा और संस्कृति से विमुखता पर भी चिंता जताई।

पर्यावरण प्रेमी विनोद जुगलान ने कहा कि प्रकृति और संस्कृति की अवहेलना मानव सभ्यता के लिए सही नहीं। बंजर और भुतहा हो रहे गांवों को फिर से विकसित करने की जरूरत है। नीतिकारों को खनन की बजाए पहाड़ के अनुरूप विकास की नीतियां बनाने पर ध्यान देना होगा। पर्यावरण सचेतक ग्रेटा थनबर्ग की सहयोगी रिधिमा पांडेय ने कहा केदारनाथ और जोशीमठ की आपदाओं से हमें सीख लेने की जरूरत है, वरना भावी पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।

समापन पर ऋषिकेश में स्वास्थ्य, शिक्षा और लोकभाषा के क्षेत्र में योगदान के लिए डॉ. राजे नेगी, पर्यावरण में नवाचार के लिए विनोद जुगलान और पर्यावरण जागरूकता के लिए रिधिमा पांडेय को भगीरथ सम्मान से नवाजा गया। मौके पर कार्यक्रम संयोजक वीरेंद्र रावत ने हेरवाल गांव में गुरुकुल पद्धति पर हरित विद्यालय के संचालन का संकल्प लिया।

कार्यक्रम में धर्माचार्य पं. वेद प्रकाश भट्ट, सेम नागराजा के पुजारी पं. रविन्द्र भट्ट,एडवोकेट लक्ष्मी प्रसाद सेमवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र रावत, साहित्यकार डॉ. बलवीर सिंह रावत, डॉ मयंक भट्ट, गजेंद्र सिंह रावत, सुरेंद्र सिंह रावत, डॉ मीना नेगी, श्रुति लखेड़ा, सुधा जोशी, नीरज बावड़ी, तहसीलदार प्रतापनगर राजेन्द्र गुनसोला, लंबगांव थानाध्यक्ष महिपाल सिंह रावत, डॉ धीरेंद्र रांगड़, अंकित व्यास, संजय जसौला आदि मौजूद थे।

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