एक्सचेंज प्लेटफार्म पर हो सकेगा ई-कचरे का निपटान
आईआईटी मद्रास ने किया ई-कचरे के निपटान को मॉडल विकसित
देहरादून। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास ई-कचरे से निपटने के लिए अभिनव मॉडल तैयार कर रहा है। ‘ई-सोर्स’ नामक इस एक्सचेंज प्लेटफॉर्म वेस्ट इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (डब्ल्यूईईई) का ऑनलाइन मार्केट होगा।
वर्तमान में विश्व में प्रतिवर्ष 53.6 मिलियन टन ई-कचरा पैदा हो रहा है। अगले दशकों में इसके दोगुना होने के आसार हैं। आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने ‘सर्कुलर इकोनॉमी‘ पर फोकस कर ई-कचरा को दूर करने का जिम्मा लिया है। इससे 50 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के दरवाजे खुल सकते हैं।
भारत के लिए भी ई-कचरा एक गंभीर समस्या बन रही है। भारत विश्व में सबसे अधिक ई-कचरा पैदा करने वाले देशों में तीसरे स्थान पर है। 2019 और 2020 के बीच 38 प्रतिशत अधिक ई-कचरा पैदा हुआ। जबकि सिर्फ 5 प्रतिशत ई-कचरे को रिसाइकिल किया जाता है।
ई-सोर्स का नेतृत्व इंडो-जर्मन सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी (आईजीसीएस) करता है। विश्वास है कि बेकार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खरीद बिक्री से जुड़े लोगों को आपस में जोड़ने से ई-कचरे की समस्या थम सकती है। ई सोर्स का मकसद ई-कचरे का पता लगाना और रिकवरी व्यवस्था कर सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देना है।
आईजीसीएस, आईआईटी मद्रास के फैकल्टी मेंबर प्रो. सुधीर चेल्लराजन ने कहा कि ई-कचरा निपटान और प्रबंधन के लिए डेटा समृद्ध एक नया ओपन-सोर्स सॉल्यूशन चाहिए। जो कि पारदर्शी हो। आमतौर पर कीमती धातु या सामग्री निकालने के लिए ई-कचरे को खत्म या फिर सीधे लैंडफिल में फेक दिया जाता है। जो कि पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
बताया कि ई-सोर्स ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है जो आगे चलकर ई-कचरे की बेहतर ट्रेसेबिलिटी नियमों के अनुपालन में मशीन लर्निंग के उपयोग को बढ़ावा देगा। साथ ही ई-कचरे की मरम्मत और पुनः उपयोग के अवसर बढ़ाने में सहायक होगा। इससे सस्ते, सेकेंड-हैंड ई-उपकरणों का बाजार तैयार कर रोजगार भी पैदा होगा।