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‘हरीश रावत’ को नहीं ‘जीत’ पर कोई ‘शक’

यह करिश्मा कैसे किया यह भी बताया, तो 2017 की पीड़ा भी की उजागर

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर चैनल वाइज अनुमान अलग-अलग हैं। कोई भाजपा तो कोई कांग्रेस को सत्ता मिलने की बात कह रहा है। लेकिन कांग्रेस के सीनियर लीडर पूर्व सीएम हरीश रावत को कांग्रेस की जीत पर कोई शक ओ सुबा नहीं है। वह कहते हैं कि 10 मार्च को नई विधानसभा का जन्म और नामकरण शपथ ग्रहण के बाद होगा। उन्होंने ये करिश्मा कैसे किया, अपनी इंटरनेट पोस्ट में यह भी जिक्र किया है। तो यह भी कि 2017 की पराजय से उभरी निराशा की बात भी कही है।

बकौल हरीश रावत- 17 मार्च, 2017 में कांग्रेस उत्तराखंड में पराजित हुई थी, पराजय बहुत गहरी थी। 10 मार्च, 2022 को नई विधानसभा जन्म ले लेगी, नामकरण तो सदस्यों के शपथ ग्रहण के साथ होगा, मगर जन्म 10 मार्च को हो जाएगा। यह 5 साल का फासला एक राजनैतिक कार्यकर्ता के रूप में मेरे लिए एक अत्यधिक चुनौतीपूर्ण विकटतम चुनौतियों से भरा हुआ था। एक अति बुरी पराजय से उभरने के लिए ही बहुत बड़ी मानसिक शक्ति की आवश्यकता थी। अपनों की नजर में भी मेरे लिए हिकारत का भाव था। साधारण कांग्रेस कार्यकर्ता जो मेरे नेतृत्व में विश्वास रखता था वो कुछ समझ ही नहीं पा रहा था कि यह क्या हो गया और क्यों हो गया!

मैंने बहुत गहरे आत्म चिंतन के बाद हार के विक्षोभ को मन और मस्तिष्क, दोनों से बाहर निकाल दिया, और नए सिरे से अपने आप व पार्टी को उत्साहित करना प्रारंभ किया। उसके लिए मैंने नाना प्रकार के अभिनव तौर-तरीके अपनाए। जिनमें नींबू-काफल पार्टी जैसे आयोजन भी थे, तो घी संक्रांत, हरेला त्यौहार मनाने जैसे सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी थे। फुलदेई त्यौहार के आयोजन से लेकर घुघुतिया त्योहार के साथ अपना जुड़ाव भी पैदा किया। मैंने परंपरागत उत्तराखंड की छांव में अपने लिए नई राह खोजी और इस 5 साल के फासले में बहुत सारे मुकाम और बहुत सारे अभिनव तरीके मैंने अपनी व पार्टी की सक्रियता को बढ़ाने और एक विपक्ष के रूप में पार्टी को सक्रिय रूप से आगे लाने के लिए बहुत सारे कदम उठाए।

कभी-कभी लगता था शायद मैं ज्यादा तेज चल रहा हूं। क्योंकि अपने भी रोकते और टोकते दिखाई देते थे, लेकिन मैं बढ़ता गया, बढ़ता गया। आज जब उस 5 साल के लेखे-जोखे को मैं अपने मन में याद कर रहा हूं तो मेरा मन और मेरी भावनाएं मुझसे कह रही हैं कि उसको आप संग्रहित करो, छोटे-छोटे संदर्भ ही सही उनको एकीकृत करके अपनी फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब आदि प्लेटफार्म पर संरक्षित करो। हो सकता है कल आने वाले किसी उत्तराखंड के राजनैतिक विद्यार्थी के लिए ये 5 साल की मेरी राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में संघर्षपूर्ण यात्रा कुछ अध्ययन का विषय हो सके तो इसीलिए कुछ प्रसंगों को मैंने डाल दिया है, विशेष तौर पर जो चुनाव से तात्कालिक रूप से जुड़े हुए थे। उसमें मैंने कुछ उत्तराखंडी सरोकारों को भी जिनको इस सरकार ने या तो छोड़ दिया या अनदेखा करने की कोशिश की उनको भी समय-समय पर उठाया था उनको भी रखा है।

कोरोना काल के अंदर किस प्रकार की भूमिका मैंने और मेरे साथियों ने निभाई उस पर भी मैं कुछ कहना चाहूंगा, वेबिनार आदि के माध्यम से हमने बहुत सारी बातों को आगे लाने का प्रयास किया जो उत्तराखंडी सरोकार थे। मैं चाहता हूंँ उनको भी संग्रहित करूं और साथ ही साथ उत्तराखंडी व्यंजनों आदि फलों की पार्टियों के कुछ संस्करण है, उनको भी संकलित करूं और भी बहुत सारी चीजें आती जा रही हैं उनको मैं संकलित करता जाऊंगा और आपके साथ अपने फेसबुक आदि प्लेटफार्म पर शेयर भी करूंगा।

मैंने लगभग 400 से ज्यादा प्रेस कॉन्फ्रेंसेज की हैं, एक संक्षिप्त संदर्भ के तौर पर मैं उन प्रेस कॉन्फ्रेंसेज के वर्णन को भी संकलित कर आप तक पहुंचाने का काम करूं तो बहुत सारा काम बचा हुआ है, कुछ कल करूंगा, कुछ परसों करूंगा हो सका तो कुछ 11 मार्च को, क्योंकि 10 मार्च को तो नतीजों की ही धुकधुकी होगी, 11 मार्च को जो कुछ और चीजें मेरे मन-मस्तिष्क में रह जाएंगी तो उनको संकलित कर उनको भी आपके पास तक फेसबुक आदि प्लेटफार्म के माध्यम से पहुंचाऊंगा, कृपया मेरी फेसबुक पेज के साथ जुड़े रहिएगा।

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