उत्तराखंडः फिजूलखर्ची पर ऐसे लगेगी लगात, आदेश जारी
Uttarakhand Governmen: देहरादून। नए वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने फिजूलखर्जी को रोकने का निर्णय लिया है। इसबारे वित्तीय स्वीकृतियां जारी करने को लेकर सरकार ने विशेष दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। जिसमें बजट के आंवटन, आहरण और खर्च को लेकर फोकस किया गया है।
लेखानुदान पर राजभवन की मुहर लगने के बाद सरकार ने वित्तीय स्वीकृतियां जारी करने के लिए सोमवार को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। वित्त प्रभारी सचिव एसएन पांडे की ओर से जारी आदेश के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 में विभागों को फिजूलखर्ची से बचना होगा। 10 करोड़ से अधिक की लागत के कार्यों अथवा परियोजनाओं का स्पेशल आडिट कराया जाएगा। यह जिम्मेदारी आडिट निदेशालय की होगी।
लेखानुदान में विभागों को धनराशि के उपयोग की हरी झंडी मिलने के साथ ही उन्हें मितव्ययता का ध्यान रखने को भी कहा गया है। कहा गया है कि विभागों को कार्ययोजना वित्तीय वर्ष की शुरूआत में ही तैयार करनी होगी।
अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों के साथ ही विभागाध्यक्षों और वित्त नियंत्रकों को जारी आदेश में कहा गया है कि विभागाध्यक्ष स्तर पर बजट का आवंटन वरिष्ठतम वित्त अधिकारी की ओर से आहरण-वितरण अधिकारी को किया जाएगा। राज्य आकस्मिकता निधि से अग्रिम धन केवल अप्रत्याशित खर्च के लिए ही स्वीकृत करने की व्यवस्था है। सामान्य प्रकृति के प्रकरणों पर नियमित बजट की सीमा के अंदर ही धनराशि दी जा सकेगी।
वेतन-भत्ते के लिए सहायक अनुदान, सहायता अनुदान (गैर वेतन) में 20 करोड़ तक धनराशि प्रशासकीय विभाग और बजट नियंत्रण अधिकारी अपने स्तर से आहरण वितरण अधिकारियों को जारी कर सकेंगे। 20 करोड़ से अधिक बजट प्रविधान होने पर संबंधित वित्त व्यय नियंत्रण अनुभाग की सहमति से धनराशि अवमुक्त की जाएगी।
यह भी कि निर्माण कार्यों में विभागीय बजट 25 करोड़ से अधिक होने पर यह तीन समान किस्तों में विभागाध्यक्ष के पास रहेगा। दूसरी किस्त जारी करने से पहले पहली किस्त का 70 प्रतिशत उपयोगिता प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाएगा। तीसरी किस्त जारी करने से पूर्व पहली और दूसरी किस्त का 70 प्रतिशत उपयोगिता प्रमाणपत्र विभागाध्यक्ष को देना होगा। प्रत्येक पूर्व स्वीकृत निर्माण कार्य का नियमित व सघन अनुश्रवण व समीक्षा की जाएगी।
किसी कारणवश कार्य प्रारंभ नहीं हुए तो उनकी स्वीकृति निरस्त कर नए आगणन पर आधारित स्वीकृति पर पुनर्विचार किया जाएगा। 50 लाख से कम लागत वाली योजनाओं की धनराशि एकमुश्त या 50-50 प्रतिशत या 40-40-20 प्रतिशत के आधार पर जारी की जा सकेगी। इससे अधिक लागत की योजनाओं की बजट राशि की पहली, दूसरी व तीसरी किस्त क्रमशः 40 प्रतिशत, 40 प्रतिशत और 20 प्रतिशत होगी।
वहीं, केंद्र पोषित, बाह्य सहायतित योजनाओं, केंद्र से मिलने वाली अतिरिक्त सहायता राशि के उपयोग के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। बजट में सीमा से अधिक खर्च का मामला सामने आने पर इसे तत्काल वित्त विभाग के संज्ञान में लाना होगा। इसके लिए बजट नियंत्रण अधिकारी या विभागाध्यक्ष उत्तरदायी होंगे।
पीएलए खाते में जमा धनराशि का उपयोग सबसे पहले किया जाएगा। वाहन खरीदने के लिए खर्च करने से पहले राज्य सरकार की नई वाहन नीति के अंतर्गत निर्णय लिया जाएगा। नए वाहन को खरीदने से पहले प्रत्येक प्रकरण पर वित्त विभाग की स्वीकृति आवश्यक है।