
• किस गम से उभरे और क्यों है ये आखिरी चुनाव ?
शिखर हिमालय डेस्क
हालिया राजनीतिक सर्वेक्षणों में बतौर मुख्यमंत्री लोकप्रिय चेहरा बनने के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को गदगद हैं। यहां तक कि बकौल उनके वह 2017 की हार के गम से भी उभर गए हैं। फिर से सीएम बनने की तमन्ना है, लेकिन अपने लिए नहीं। यह भी कि यह चुनाव आखिरी मौका है।
फेसबुक के अपने अधिकृत पेज पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने सर्वेक्षणों के बाबत एक पोस्ट डाली है। जिसमें कहते हैं कि सर्वेक्षण दर सर्वेक्षण सबने मुझे 2022 के लिए मुख्यमंत्री पद का सबसे लोकप्रिय चेहरा बताया है। 2017 की चुनावी हार और उसके बाद कई लोगों के राजनैतिक व्यंग्यों ने मेरे दिल में कई छेद कर दिए थे। एक आशा थी कि मैंने भगवान केदार और भगवान बद्रीश के बेटे और बेटियों की अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना सेवा की है। मुझे वही न्याय दिलाएंगे। आप सबने मुझे सबसे लोकप्रिय पसंद बताकर मेरे घावों को भर दिया है।
हरदा कहते हैं कि मुझे सत्ता की चाहत नहीं है। चाहत है तो गांव के उस व्यक्ति को राज्य की तरक्की से जोड़ने की है, जिसे अभी तक राज्य की तरक्की का लाभ नहीं मिला है। एक समन्वित विकास के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति को राज्य के सभी हिस्सों व वर्गों की विकास संबंधी आवश्यकता व सोच का ज्ञान होना चाहिए।
उनके अनुसार राज्य को एक ऐसे मुख्यमंत्री की आवश्यकता है जो ‘काफल’ और ‘काले भट’ का महत्व समझता हो। जिसके पास ऐसी क्षमता हो, जिसके आधार पर वह मंडुवे और गन्ने का समन्वित संगीत तैयार कर सके।
हरीश रावत 2022 के चुनाव पर लिखते हैं कि उत्तराखंडियत के लिए यह चुनाव अंतिम अवसर है। उत्तराखंडियत की विजय के लिए आपको, हमको, कांग्रेस के साथ खड़ा होना चाहिये।
बताया कि कांग्रेस ने इधर 3 बड़े कार्यक्रम दिए हैं। पहला सदस्यता अभियान, दूसरा गांव-गांव कांग्रेस व गांव से जुड़ो-गांव चलो का हैं। तीसरा कार्यक्रम पूर्व सैनिकों और शहीदों के सम्मान का है। मेरा आपसे आग्रह है कि इन कार्यक्रमों के साथ जुड़कर के कांग्रेस के झंडे को थामिए तभी आप हरीश रावत को राज्य का मुख्यमंत्री बना पाएंगे।