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सियासतः … तो फिर से खिचेंगी ‘हरक’ और ‘हरदा’ के बीच तलवारें

Uttarakhand Politics : एक अरसे से सियासी हलचलों से दूर पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) के फिर सक्रिय होने की चर्चा है। भाजपा (BJP) से कांग्रेस (Congress) में घर वापसी के बाद भले ही उन्होंने विधानसभा चुनाव से दूरी रखी। लेकिन अब वह लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) को लेकर खबरों में हैं। हरिद्वार लोकसभा सीट (Haridwar Loksaba) पर दावा ठोकने की खबरों से कांग्रेस के भीतर फिर से दो दिग्गजों के बीच सियासी तलवारें खिंचने की आशंकाएं बढ़ गई हैं। इस सीट से एक बार सांसद रह चुके पूर्व सीएम हरीश रावत की दावेदारी पहले से बताई जा रही है। हालांकि हरक सिंह ने टिकट का आखिरी फैसला हाईकमान पर छोड़ा है।

कांग्रेस में लौटने के बाद हरक सिंह के विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चाएं आम थी, लेकिन जब उन्हें एक ही टिकट ऑफर हुई तो उन्होंने यह टिकट लैसडाउन सीट पर अपनी बहू अनुकृति गुसाई को दिलाया। तब उन्होंने खुद के लिए लोकसभा चुनाव का विकल्प खुले रहने का बयान दिया था। हाल की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हरक सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य वरिष्ठ नेताओं को अपने मन की बात बता चुके हैं।

बता दें कि हरिद्वार सीट पर 2009 में जीत दर्ज कर हरीश रावत सीएम बनने से पहले केंद्र में मंत्री बने थे। 2014 के चुनाव में उन्होंने हरिद्वार से अपनी पत्नी रेणुका रावत को टिकट दिलाया था, हालांकि वह हार गई थी। 2019 में कांग्रेस ने हरिद्वार में अंबरीश कुमार पर दांव खेला, वह भी भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक के सामने नहीं टिक पाए। अब बताया जा रहा है कि हरीश रावत ने अपनी राजनीति की आखिरी आजमाइश हरिद्वार से ही करने की ठानी है। वर्तमान में हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा में उनकी बेटी अनुपमा रावत विधायक हैं। उनके दावे का एक मजबूत आधार यह भी है।

हरक सिंह के दावे के बीच सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि अगर मौजूदा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक ही भाजपा के कैंडिडेट हुए, तो क्या तब भी हरक सिंह कांग्रेस से ताल ठोकेंगे? वजह, हरक सिंह और निशंक के बीच पुरानी दोस्ती को बताया जा रहा है। इसलिए भी कि 2012 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत ने डोईवाला सीट से चुनाव में उतरने की इच्छा जताई थी, लेकिन ऐनवक्त पर रमेश पोखरियाल को भाजपा का टिकट मिला, तो हरक सिंह रुद्रप्रयाग कूच कर गए।

यहां एक और मसला भी चर्चाओं में है कि 2016 के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद से हरीश रावत और हरक सिंह के बीच 36 का आंकड़ा बन गया था, इस वजह से भी हरदा ने हरक की घर वापसी को रोकने के लिए आखिरी तक जोर लगाया। अब हरक सिंह का हरीश रावत की पारंपरिक सीट पर ही दावा ठोकने को सियासी जानकार पुराने वजूहात से जोड़कर भी देख रहे हैं।

कांग्रेस हाईकमान हरिद्वार सीट से पार्टी का टिकट किसे सौंपेगा, इसपर तो लंबा इंतजार बाकी है। इसबीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है। हर किसी को दावेदारी का अधिकार है, लेकिन अंतिम निर्णय हाईकमान ही लेगा। सो, बावजूद इसके 2024 में कांग्रेस के भीतर टिकट वितरण के समय घमासान तय माना जा रहा है।

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