Garhwal
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ब्लॉगिंग
Uttarakhand: यहां आज भी जीवित है मामा पौणा की परंपरा
Mama Pauna Tradition : सदियों से चली आ रही मामा पौणा ( मामा मेहमान) की प्रथा नरेंद्रनगर ब्लॉक के दोगी…
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गढ़वाली
गढ़वाली कहानीः रकी-मुकी द्वी बोड़
Garhwali Story : बात उत्तराखंड मा बस्यां एक छुट्टा सि गौं की चा। उं दिन पुंगड़ों मा ग्यूं-जौ कटेगे छा,…
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गढ़वाली
मुट्ट बोटिक रख (गढ़वाली गीत)
द्वी दिन कि हौरि छ खैरि मुट्ट बोटिक रखतेरि हिकमत आजमाणू बैरिमुट्ट बोटिक रखघणा डाळों बीच छिर्कि आलु घाम ये…
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गढ़वाली
लाठु खुज्याणी छै किलै (गढ़वाली ग़ज़ल)
लत्यों-लत्योंल् लत्याणी छै किलैआँखोंल् मुछ्यळा चुटाणी छै किलैदे छयो त्वैथई समळौण्या रुमालवैथै च्याँ गुज्यर चुटाणी छै किलैप्यार का बुज्यों मा…
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गढ़वाली
वा (गढ़वाली कविता)
वा बंण म घास कटदअर बंण हौर हैरो ह्वे जांद वींका आंख्यूं आंसू ब्वगद अर समोदर हौर गैरो ह्वे जांदवा…
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इतिहास
9वीं से 15वीं सदी तक ’52 गढ़ों’ का देश था ‘गढ़वाल’
आपने उत्तराखंड के प्रख्यात लोकगायक और गीतकार नरेन्द्र सिंह नेगी का यह गीत ‘वीर भड़ूं कू देस बावन गढ़ कू…
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गढ़वाली
बता दियां भारै मिथै भी?
• केशव डुबर्याळ “मैती“मुंड मलासणौ,सबी तैयार छन,पर कै थै असप्ताळम,मुंडरा गोळी भी मील होली,बता दियां भारे मिथै भी?वन त समाजसेवी,बिंडी…
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