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गोवा फिल्म फेस्टिवल में कल ‘ढाई आखर प्रेम’ का प्रदर्शन

साहित्यकार अमरीक सिंह दीप के उपन्यास पर आधारित

Hindi Film Dhai Aakhar Prem : गोवा में कल से आयोजित 54 वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में प्रदर्शन के लिए फ़िल्म ’ढाई आखर प्रेम’ चयनित हुई है। प्रवीण अरोड़ा निर्देशित यह फ़िल्म साहित्यकार अमरीक सिंह ‘दीप’ के उपन्यास ’तीर्थाटन के बाद’ की कहानी पर आधारित है। इसकी पटकथा व संवाद असगर वजाहत ने लिखे हैं। इस फिल्म की शूटिंग हरिद्वार और ऋषिकेश में भी की गई है।

ढाई आख़र फिल्म से जुड़े प्रबोध उनियाल ने यह जानकारी दी। बताया कि कल 25 नवंबर को गोवा में फिल्म फेस्टिवल में इसका प्रदर्शन किया जाएगा। कबीर कम्युनिकेशंस और आकृति प्रोडक्शंस प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले निर्मित हिन्दी फीचर फिल्म ढाई आखर को आधिकारिक तौर पर गोवा में होने वाले 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) 2023 के प्रतियोगिता सेक्शन में चुना गया है। आईएफएफआई जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में इस इंडिपेंडेंट फ़िल्म का विश्व प्रीमियर होना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। गोवा प्रीमियर में इस फ़िल्म की प्रतिस्पर्धा कंतारा, गुलमोहर और 96वें ऑस्कर पुरस्कार के लिए चयनित 2018-एवरीवन इज ए हीरो जैसी फिल्मों से है।

हिंदी के वरिष्ठ लेखक अमरीक सिंह दीप के उपन्यास ’तीर्थाटन के बाद’ पर आधारित फीचर फिल्म ’ढाई आखर’ हर्षिता नाम की एक ऐसी महिला की कहानी है, जो वर्षों तक घरेलू हिंसा और अपमानजनक वैवाहिक जीवन की शिकार रही। वह पत्रों के माध्यम से एक नामी लेखक श्रीधर के करीब आती है। लेकिन विधवा होने वजह से उनका ये संबंध पितृसत्तात्मक समाज और परिवार को स्वीकार नहीं होता। इस फ़िल्म के केंद्र में है हर्षिता द्वारा अपनी पहचान को खोजने की कोशिश।

क्या हर्षिता इससे जुड़ी चुनौतियों का सामना कर पाएगी? श्रीधर के साथ उसके रिश्ते के प्रति परिवार के नफरत का अंत क्या होगा? क्या दोनों का प्यार परवान चढ़ेगा? इन सभी सवालों का भावनात्मक जवाब खोजने की कोशिश करती है ये फ़िल्म।

निर्देशक प्रवीन अरोड़ा कहते हैं कि फ़िल्म ’ढाई आखर’ प्यार का एक गीत है, जो किसी के जीवन को बदलने की ताकत रखता है। इस फ़िल्म के माध्यम से वो दर्शना चाहते है कि कैसे परिवारों में औरतों के साथ दुर्व्यवहार और हिंसा को सामान्य रूप से स्वीकार कर लिया जाता है, जिससे औरतों के व्यक्तित्व पर गहरा और बुरा प्रभाव पड़ता है। उनका दृढ़ विश्वास है कि प्रेम में किसी को भी मुक्त करने की क्षमता है। 1980 के दशक के परिवेश में फिल्माई गई ये कहानी दर्शकों के लिए अनुभव बने, यही उनकी कोशिश रही है।

फ़िल्म में हिन्दी और मराठी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री मृणाल कुलकर्णी ने हर्षिता की मुख्य भूमिका निभाई हैं। इसके अलावा फिल्म और थिएटर के जाने माने अभिनेता हरीश खन्ना और प्रसिद्ध मराठी अभिनेता रोहित कोकाटे ने अहम किरदार निभाए हैं। जिस लाहौर नई देख्या और फ़िल्म ’गांधी गोडसे – एक युद्ध’ के प्रसिद्ध लेखक असग़र वजाहत ने इस फिल्म की रूपांतरित पटकथा और संवाद लिखे हैं। फिल्म टीम में गीतकार इरशाद कामिल, हिंदी और बंगाली संगीत निर्देशक अनुपम रॉय और गायिका कविता सेठ शामिल हैं।

फ़िल्म को उत्तराखंड के आध्यात्मिक और खूबसूरत परिवेश में फिल्माया गया है और फ़िल्म के निर्माताओं का विश्वास है कि इसकी कहानी दर्शकों को भावनात्मक रूप से ज़रूर प्रभावित करेगी।

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