ऋषिकेश। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि जयराम आश्रम के अध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी कहा कि संस्कृत भाषा को समाज और सरकार दोनों से ही संरक्षण जरूरत है। कहा कि सरकार को इस भाषा के संवर्धन के लिए आर्थिक सहायता देनी चाहिए। उन्होंने स्वयं भी इस कार्य के लिए मदद की बात कही।
मंगलवार को जयराम आश्रम परिसर में ‘संस्कृत भाषायः महत्वम् उद्योगावसराःच’ विषययक एक दिवसीय संगोष्ठी का जयराम आश्रम के अध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, संस्कृत शिक्षा विभाग के अपर सचिव रमेश कुमार, संयुक्त सचिव विरेंद्र पाल और निदेशक शिवप्रसाद खाली ने शुभारंभ किया।
इस अवसर पर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने संस्कृत भाषा की मौजूदा स्थिति, उसके संवर्धन के आड़े आ रही समस्याओं, संस्कृत विद्यालयों के हालात आदि की जानकारी साझा की। साथ ही सरकार द्वारा इस काम में आर्थिक मदद करने की जरूरत बताई। कहा कि जयराम आश्रम परिवार भी इस कार्य में सहयोग के लिए तैयार है।
संगोष्ठी में कार्यक्रम अध्यक्ष अपर सचिव रमेश कुमार ने संस्कृत विद्यालयों के विकास के लिए हरसंभव सहयोग की बात कही। कार्यक्रम में संयुक्त सचिव विरेंद्र पाल, शिवप्रसाद खाली, हरिहर ज्ञानपीठ के निश्चलनानाथ, डॉ जनार्दन कैरवान आदि ने विचार रखे।
आयोजन में हरिश्चंद्र गुरूरानी, कन्हैयाराम सार्की, भूपेंद्र आर्य का विशेष सहयोग रहां मौके पर विनोद कुमार अग्रवाल, संजय शास्त्री, मायाराम रतूड़ी, विपिन बहुगुणा, विनोद गैरोला, जितेंद्र भट्ट, विनायक भट्ट, प्रेमचंद्र नवानी, अंजना उनियाल, हर्षानंद उनियाल, पूजा शर्मा, महेश चमोली, सुभाष डोभाल, सूर्यप्रकाश रतूड़ी, गंगाराम चमोली आदि मौजूद रहे।